मोतिहारी लोकसभा सीट पर सवर्ण जातियों का वर्चस्व रहा है

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पूर्वी चंपारण (मोतिहारी) लोकसभा सीट पर सवर्ण जातियों का वर्चस्व रहा है। 1952 से लेकर 2019 तक 17 बार लोकसभा चुनाव हुए। इसमें 15 बार सवर्ण जाति के नेता सांसद बने, जिसमें राजपूत जाति के नेता सात और ब्राह्मण उम्मीदवार पांच बार चुनाव जीते। वहीं, भूमिहार प्रत्याशी की जीत तीन बार हुई है। पूर्वी चंपारण सीट से सिर्फ प्रभावती गुप्ता 1984 में तो रमा देवी 1998 में गैर सवर्ण सांसद बनने वालों में शामिल हैं। प्रभावती गुप्ता और रमा देवी वैश्य समाज से हैं।

पूर्वी चंपारण कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। लेकिन बीजेपी की सीट बनाने में राधा मोहन सिंह की अहम भूमिका रही है। राजपूत जाति से आने वाले राधा मोहन सिंह छह बार यहां से सांसद रहे हैं। 2009 से 2019 तक वो हैट्रिक लगा चुके हैं। हालांकि, उम्र का हवाला देते हुए इस बार उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है।

पहली बार मोतिहारी लोकसभा सीट पर 1952 में चुनाव हुआ था। इसमें कांग्रेस की टिकट पर विभूति मिश्र चुनाव जीत कर संसद भवन पहुंचे थे।

इसके बाद लगातार पांच बार सांसद का चुनाव जीते। 1952 से लेकर 1971 तक वे यहां से सांसद रहें। 1977 के चुनाव में जनता पार्टी ने कांग्रेस के विजयी रथ को रोक दिया।

यहां से चुनाव लड़े ठाकुर रमापति सिंह ने जनता पार्टी से जीत दर्ज की। हालांकि, 1980 में हुए चुनाव में रमापति सिंह को सीपीआई के कमला मिश्र मधुकर ने हरा कर वाम दल का झंडा लहरा दिया। लेकिन, 1984 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से कांग्रेस ने वापसी की। प्रभावती गुप्ता कमला मिश्र मधुकर को हराने में सफल रही। फिर से कांग्रेस के प्रत्याशी की जीत हुई।
1989 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के राधा मोहन सिंह की एंट्री हुई। लोकसभा चुनाव में राधा मोहन सिंह ने प्रभावती गुप्ता को हरा दिया। वे पहली बार सांसद बने। इसके बाद 1991 में मध्यावधि चुनाव हुआ। राधा मोहन सिंह फिर से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन सीपीआई के कमला मिश्र मधुकर ने उन्हें हरा दिया। 1996 के चुनाव में फिर बीजेपी ने राधा मोहन सिंह को मैदान में उतारा। इस बार उन्हें जीत मिली।
1998 लोकसभा चुनाव काफी दिलचस्प था। एक तरफ दो बार के सांसद रहे राधा मोहन सिंह मैदान में थे। वहीं, उनके विरोध में उस समय के बाहुबली पूर्व विधायक देवेंद्र नाथ दुबे थे। वे समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। इस बीच राजद के टिकट पर बाहुबली बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी रमा देवी चुनाव लड़ रहीं थी।

चुनाव के दौरान ही संग्रामपुर थाना क्षेत्र में बाहुबली देवेंद्र नाथ दुबे की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इसमें रमा देवी के हाथों राधा मोहन सिंह को हार का सामना करना पड़ा। फिर 1999 में मध्यावधि चुनाव हुआ। इसमें बीजेपी के टिकट पर एक बार फिर से राधा मोहन सिंह ही चुनाव लड़े और उनकी जीत हुई।
2004 में फिर चुनाव हुआ, इसमें राजद के टिकट पर भूमिहार जाति से आने वाले डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह चुनावी मैदान में उतरे। उन्होंने यहां बीजेपी के तीन बार के सांसद रहे राधा मोहन सिंह को हरा दिया। इसके बाद उन्हें केंद्र में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भी बनाया गया। अखिलेश सिंह को लालू प्रसाद का खास माना जाता था। इसी वजह से पहली बार सांसद बनने के बाद सीधे केंद्र में मंत्री भी बने।
2008 में मोतिहारी लोकसभा का नाम बदल कर पूर्वी चंपारण लोकसभा हो गया। 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर फिर राधा मोहन सिंह चुनावी मैदान में उतरे। उन्होंने हार का बदला लेते हुए अखिलेश सिंह को हराया। 2014 में फिर उन्हें बीजेपी का टिकट मिला। उन्होंने इस बार राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे विनोद श्रीवास्तव को एक बड़े अंतर से हरा दिया।

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने फिर राधा मोहन सिंह को ही उम्मीदवार बनाया। इस बार उनके विरोध में महागठबंधन से आरएलएसओ के टिकट पर पूर्व मंत्री और कांग्रेस के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे आकाश सिंह चुनावी मैदान में उतरे। राधा मोहन सिंह ने करीब तीन लाख मतों से आकाश को हरा दिया। लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर संसद भवन पहुंचे। लेकिन मोदी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया गया।

पूर्वी चंपारण लोकसभा में अब तक 17 बार लोकसभा का चुनाव हुआ है। इसमें सबसे अधिक कांग्रेस और बीजेपी ने छह बार जीत दर्ज की है। जबकि, सीपीआई ओर राजद दो बार। वहीं, एक बार जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है।