चुनावी ड्यूटी से गायब मतदान कर्मियों पर एफआईआर का आदेश, प्रशासन

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मोतिहारी (पूर्वी चंपारण):

बिहार विधानसभा आम निर्वाचन 2025 के दौरान केसरिया विधानसभा क्षेत्र में तैनात कई मतदान कर्मियों की लापरवाही प्रशासन के निशाने पर आ गई है। जिला निर्वाचन पदाधिकारी-सह-जिलाधिकारी, पूर्वी चंपारण ने चुनावी कार्य में गंभीर लापरवाही बरतने वाले मतदान कर्मियों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए उनके विरुद्ध प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराने का आदेश जारी किया है।

प्रशासन द्वारा जारी आदेश के अनुसार, 15-केसरिया विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए नियुक्त कई मतदान कर्मी बिना किसी उचित कारण के अपने कर्तव्य स्थल से अनुपस्थित पाए गए। जिला निर्वाचन पदाधिकारी ने इसे चुनावी प्रक्रिया में “घोर लापरवाही और स्वेच्छाचारिता” मानते हुए इसे लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की सुसंगत धाराओं का उल्लंघन बताया है।

जिलाधिकारी ने सहायक निर्वाची पदाधिकारी-सह-प्रखंड विकास पदाधिकारी, केसरिया —  कुमुद कुमार को आदेशित किया है कि वे अनुपस्थित कर्मियों के विरुद्ध स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज कराएं और दर्ज एफआईआर की प्रति जिला निर्वाचन पदाधिकारी को उपलब्ध कराएं।

आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि निर्वाचन कार्य राज्य की सर्वोच्च प्राथमिकता वाला कर्तव्य है और इस कार्य से अनुपस्थित रहना एक गंभीर प्रशासनिक अपराध है। निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार, ऐसे मामलों में किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

अनुपस्थित कर्मियों की सूची इस प्रकार है:

1. मनोज कुमार मिश्रा (PIN-0221809) – शिक्षक, पोलिंग ऑफिसर-2

2. अमजद अली (PIN-0242865) – शिक्षक, पोलिंग ऑफिसर-1

3. संजय कुमार (PIN-0227467) – कार्यपालक सहायक, पोलिंग ऑफिसर-2

4. चंद्र मोहन (PIN-0238728) – दफ्तरी, पोलिंग ऑफिसर-3

5. बिनोद कुमार सिंह (PIN-0210697) – शिक्षक, प्रेसाइडिंग ऑफिसर

6. कौशल कुमार (PIN-0210159) – कार्यपालक सहायक, पोलिंग ऑफिसर-2

7. दिनेश कुमार (PIN-0205407) – शिक्षक, पोलिंग ऑफिसर-1

8. तबरेज़ अहमद (PIN-0221911) – शिक्षक, पोलिंग ऑफिसर-1

9. कंचन कुमारी (PIN-0222490) – शिक्षक, पोलिंग ऑफिसर-3

प्रशासन का संदेश स्पष्ट:

पूर्वी चंपारण जिला प्रशासन ने इस कार्रवाई के जरिए सभी निर्वाचन कर्मियों को यह सख्त संदेश दिया है कि चुनावी ड्यूटी से अनुपस्थित रहने या लापरवाही करने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही ऐसे कर्मियों को भविष्य की किसी भी निर्वाचन प्रक्रिया से वंचित किया जा सकता है।

चुनाव आयोग ने पहले ही यह स्पष्ट किया था कि निर्वाचन कार्य राजकीय सेवा का सर्वोच्च कर्तव्य है, और किसी भी कर्मी द्वारा बिना अनुमति अनुपस्थित रहना “सेवा अनुशासनहीनता” के साथ-साथ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की गंभीर अवहेलना है।

प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, FIR दर्ज होने के बाद इन कर्मियों पर विभागीय कार्रवाई भी तय मानी जा रही है।

चुनावी माहौल में यह कदम बाकी मतदान कर्मियों के लिए भी एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।