मोतिहारी की सियासत में इस समय हलचल तेज हो गई है। जिले के लोकप्रिय युवा नेता हिमांशु भारद्वाज ने आज यानी 15 अक्टूबर 2025 को एक बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राजनीतिक पटल पर नया मोड़ ला दिया। एनडीए गठबंधन से टिकट नहीं मिलने के बाद उन्होंने बगावती तेवर अपनाते हुए यह ऐलान कर दिया कि वे अब 17 अक्टूबर को बतौर निर्दलीय प्रत्याशी पर्चा दाखिल करेंगे।
गौरतलब है कि हिमांशु भारद्वाज को जदयू और एनडीए से बड़ी उम्मीदें थीं। वे लंबे समय से मोतिहारी की राजनीति में सक्रिय हैं और जिले में युवाओं के बीच उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। खुद हिमांशु ने प्रेस वार्ता में खुलासा किया कि उन्हें उम्मीद थी कि मोतिहारी की 12 विधानसभा सीटों में से किसी एक से उन्हें एनडीए गठबंधन की ओर से टिकट मिलेगा, लेकिन 13 अक्टूबर को अधिसूचना जारी होने के बाद भी 15 अक्टूबर तक न तो उन्हें बुलाया गया और न ही टिकट पर कोई बात हुई।
इस स्थिति से आहत हिमांशु भारद्वाज ने साफ शब्दों में कहा,
“अब डरने का कोई सवाल ही नहीं है। मैं मोतिहारी की जनता की आवाज़ हूं, और जनता के भरोसे चुनाव लड़ूंगा। 17 अक्टूबर को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन दाखिल करूंगा।”
उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी कहा कि जदयू के साथ उनकी पुरानी राजनीतिक समझ थी और संगठन ने उन्हें जिले में युवा नेतृत्व सौंपा था, जिसे उन्होंने पूरी निष्ठा से निभाया। बावजूद इसके, जब टिकट देने की बारी आई, तो उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया।
हिमांशु भारद्वाज ने मोतिहारी की विकास योजनाओं पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने खासतौर पर मोतिहारी चीनी मिल, केंद्रीय विद्यालय, केंद्रीय विश्वविद्यालय और आयुर्वेदिक कॉलेज की बदहाली का जिक्र करते हुए कहा:
“अगर आज इंसानों की स्थिति पत्थरों से भी बदतर हो गई है, तो इसका जवाब कौन देगा? कौन जिम्मेदार है इन संस्थानों की दुर्दशा के लिए?”
उनकी बातों से यह साफ झलक रहा था कि वे अब किसी भी गठबंधन या दल के भरोसे नहीं बैठना चाहते, बल्कि जनता के मुद्दों को लेकर सीधा जनादेश लेने मैदान में उतर रहे हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान समर्थकों की भारी भीड़ भी देखी गई, जो उनके इस फैसले से उत्साहित नजर आई।
अब देखना यह होगा कि निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरने वाले हिमांशु भारद्वाज किस विधानसभा क्षेत्र से नामांकन करते हैं और उनका यह बगावती कदम मोतिहारी की राजनीति में किस तरह का प्रभाव डालता है।
बहरहाल, इतना तय है कि इस विधानसभा चुनाव में मोतिहारी की जंग और भी दिलचस्प होने वाली है।









