सीपी राधाकृष्णन बने देश के नए उपराष्ट्रपति, 452 वोट से दर्ज की ऐतिहासिक जीत

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नई दिल्ली। भारत के अगले उपराष्ट्रपति पद की कमान अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को मिल गई है। शनिवार को संपन्न हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने विपक्षी उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को बड़े अंतर से पराजित किया। राज्यसभा महासचिव और निर्वाचन अधिकारी पी.सी. मोदी ने बताया कि राधाकृष्णन को 452 प्रथम वरीयता मत प्राप्त हुए, जबकि रेड्डी को 300 मत ही हासिल हो पाए।

इस तरह लगभग 152 मतों के अंतर से राधाकृष्णन की जीत सुनिश्चित हुई। नतीजों की घोषणा के बाद एनडीए खेमे में जश्न का माहौल देखा गया। राधाकृष्णन ने जीत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनडीए के सभी सहयोगी दलों के विश्वास का परिणाम बताया।

एनडीए का पलड़ा शुरू से भारी

राधाकृष्णन के नामांकन के साथ ही राजनीतिक जानकारों ने इस चुनाव में एनडीए की स्थिति मजबूत बताई थी। एनडीए के पास लोकसभा और राज्यसभा में स्पष्ट बहुमत होने के कारण विपक्षी खेमे को शुरुआत से ही संघर्ष का सामना करना पड़ा। यही कारण रहा कि परिणाम घोषित होने से पहले ही राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोर पकड़ चुकी थी कि जीत एनडीए उम्मीदवार की होगी।

राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर

सी.पी. राधाकृष्णन लंबे समय से बीजेपी से जुड़े हुए हैं। वे दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और पार्टी संगठन में भी कई महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं। हाल के वर्षों में उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में जिम्मेदारी निभाई और वहां अपने कार्यकाल के दौरान सादगी और प्रशासनिक दक्षता के लिए सुर्खियों में रहे।

उनकी साफ-सुथरी छवि और संगठनात्मक अनुभव को देखते हुए एनडीए ने उन्हें उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था। अब उपराष्ट्रपति चुने जाने के साथ ही वे राज्यसभा के सभापति पद की जिम्मेदारी भी संभालेंगे।

विपक्षी उम्मीदवार का सम्मानजनक रुख

नतीजों के बाद विपक्षी उम्मीदवार जस्टिस सुदर्शन रेड्डी ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर पूरा विश्वास जताते हुए परिणाम को विनम्रतापूर्वक स्वीकार किया। उन्होंने कहा—

> “हमारे महान गणराज्य की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में अटूट विश्वास के साथ मैं इस परिणाम को स्वीकार करता हूं। हालांकि यह मेरे पक्ष में नहीं है, लेकिन विचारों की लड़ाई और भी मजबूत होकर जारी रहेगी।”

रेड्डी का यह बयान विपक्षी खेमे की रणनीतिक हार को भले ही नहीं छिपा सका, लेकिन उनके लोकतांत्रिक दृष्टिकोण की सराहना राजनीतिक हलकों में की जा रही है।

बीजेपी खेमे में जश्न

नतीजे आने के साथ ही बीजेपी सांसदों और कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई। सभी सांसद मंगलवार रात को केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी के आवास पर एकत्र होंगे, जहां नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति का औपचारिक स्वागत किया जाएगा। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित रहेंगे और राधाकृष्णन को बधाई देंगे।

विपक्ष के लिए झटका

इस चुनाव के नतीजे ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष अब भी एकजुट नहीं हो पाया है। 300 वोट हासिल करने के बावजूद विपक्षी उम्मीदवार को सत्ता पक्ष की तुलना में पर्याप्त समर्थन नहीं मिल सका। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह हार विपक्ष की एकजुटता और रणनीति दोनों पर सवाल खड़े करती है।

लोकतांत्रिक परंपरा का उदाहरण

भारत में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव सदैव लोकतांत्रिक मर्यादाओं और संसदीय परंपराओं का उदाहरण माना जाता रहा है। इस बार भी दोनों उम्मीदवारों ने चुनावी प्रक्रिया के दौरान मर्यादा का पालन किया और व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप से परहेज किया। यही वजह रही कि नतीजों के बाद भी वातावरण गरमाने के बजाय सम्मानजनक रहा।

राधाकृष्णन के सामने चुनौतियाँ

नए उपराष्ट्रपति के तौर पर राधाकृष्णन के सामने सबसे बड़ी जिम्मेदारी राज्यसभा के सभापति के रूप में सदन को सुचारु रूप से चलाने की होगी। विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच अक्सर होने वाले टकराव को देखते हुए यह जिम्मेदारी आसान नहीं मानी जा रही है। संसद की गरिमा और संतुलन बनाए रखने में उनकी प्रशासनिक समझ और अनुभव अहम साबित होंगे।

निष्कर्ष

सी.पी. राधाकृष्णन की जीत न केवल एनडीए की ताकत का प्रतीक है, बल्कि उनकी व्यक्तिगत साख और नेतृत्व क्षमता की भी गवाही देती है। एक साधारण कार्यकर्ता से लेकर राज्यपाल और अब देश के उपराष्ट्रपति बनने तक का उनका सफर प्रेरणादायी है। आने वाले वर्षों में वे किस तरह राज्यसभा की कार्यवाही को संभालते हैं और लोकतांत्रिक मूल्यों को और मजबूती देते हैं, इस पर पूरे देश की निगाहें रहेंगी।