मोतिहारी में एम्बुलेंस सेवाएं ठप, कर्मियों का अनिश्चितकालीन धरना शुरू

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मोतिहारी, संवाददाता।

पूर्वी चंपारण जिले के सदर अस्पताल परिसर में सोमवार से एम्बुलेंस कर्मियों ने अपनी चार सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। धरना शुरू होते ही जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीजों को अब एम्बुलेंस सुविधा से वंचित होना पड़ रहा है। एम्बुलेंस कर्मियों ने अपनी गाड़ियां अस्पताल परिसर में खड़ी कर सरकार और एजेंसी के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।

धरना की सूचना मिलते ही राजनीति भी गरमा गई। राजद के पूर्व विधायक राजेंद्र राम मौके पर पहुंचे और एम्बुलेंस कर्मियों के समर्थन में धरना स्थल पर बैठ गए। उन्होंने वहीं से सिविल सर्जन को फोन कर मांगों पर गंभीरता से विचार करने तथा एजेंसी से वार्ता कर समाधान निकालने की बात कही।

सरकार पर जमकर बरसे कर्मी

धरना स्थल पर मौजूद एम्बुलेंस कर्मियों ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि बिहार की यह “खटारा सरकार” तक नहीं जानती कि 102 नंबर की इमरजेंसी सेवा देने वाले कर्मी हड़ताल पर हैं। यह बेहद शर्मनाक स्थिति है। कर्मियों का कहना था कि गरीब और मजदूर वर्ग के लिए एम्बुलेंस जीवन रक्षक साधन है। सवाल उठता है कि अगर किसी घर में अचानक कोई घटना घटती है तो मरीज अस्पताल तक कैसे पहुंचेगा?

कर्मियों ने चेतावनी दी कि यदि एम्बुलेंस की कमी से किसी की मौत होती है, तो उसका सीधा जिम्मेदार सरकार और एजेंसी होगी। ऐसे मामलों में संबंधित पर केस दर्ज कराया जाएगा।

श्रम अधिनियम के तहत भत्ता और इंश्योरेंस की मांग

धरना में शामिल चालक राजेश कुमार ने कहा कि हमारी मांगें बिल्कुल जायज हैं। श्रम अधिनियम के तहत हमें भत्ता दिया जाए। गाड़ी खराब रहने की अवधि का भी मानदेय मिलना चाहिए। इसके अलावा प्रत्येक एम्बुलेंस कर्मी के लिए कम से कम 20 लाख रुपये का इंश्योरेंस कराया जाना चाहिए।

2014 का आंदोलन और अधूरा वादा

धरना स्थल पर ईएनटी अमित कुमार ने याद दिलाया कि 2014 में भी एम्बुलेंस कर्मियों ने आंदोलन किया था। उस समय भाजपा नेता मंगल पांडे हमारे साथ सड़कों पर चले थे। लेकिन जब वे स्वास्थ्य मंत्री बने, तो हमें ही भूल गए। अमित ने साफ कहा कि जैसे उन्होंने हमें भुलाया है, इस बार कर्मी भी उन्हें और उनकी पार्टी को भुला देंगे। अगर सरकार हमारी मांगें पूरी नहीं करती है तो हर हाल में सत्ता परिवर्तन होगा।

मरीज परेशान, सेवाएं ठप

धरना के कारण जिले में एम्बुलेंस सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गई हैं। सदर अस्पताल से लेकर प्रखंड अस्पतालों तक मरीजों को निजी साधनों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। गरीब परिवारों के लिए यह बड़ी समस्या बन गई है।

धरना पर बैठे कर्मियों ने स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी चार सूत्री मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। फिलहाल जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग मौन है। अब देखना यह होगा कि सरकार कब तक चुप्पी साधे रहती है और इस आंदोलन का हल कैसे निकलता है।