मोतिहारी में रेलवे ट्रैक पर बकरियों की मौत, ग्रामीणों ने उठाई सुरक्षा की मांग

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मोतिहारी। बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के कुण्डवा चैनपुर थाना क्षेत्र में शुक्रवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ। गुरहनवा रेलवे स्टेशन के समीप ट्रैक पार कर रही 20 से अधिक बकरियां मालगाड़ी की चपेट में आ गईं और मौके पर ही उनकी मौत हो गई। इस घटना से स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश और चिंता का माहौल है।

कैसे हुआ हादसा

घटना सुबह रक्सौल से सीतामढ़ी जा रही एक बीसीएन ट्रेन के गुजरने के दौरान हुई। प्रत्यक्षदर्शी अफताब अली ने बताया कि बकरियों का झुंड धीरे-धीरे ट्रैक पार कर रहा था। इसी बीच अचानक ट्रेन आ गई और पूरा झुंड उसकी चपेट में आ गया। हादसे की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बकरियों के शव रेलवे लाइन पर इधर-उधर बिखर गए।

मौके पर अफरातफरी

हादसे के तुरंत बाद आसपास के ग्रामीण घटनास्थल पर पहुंच गए। देखते ही देखते वहां लोगों की भीड़ जमा हो गई। स्थानीय लोगों ने रेलवे अधिकारियों को घटना की सूचना दी। कुछ ही देर में रेलवे कर्मी मौके पर पहुंचे और मृत बकरियों को ट्रैक से हटवाया। इसके बाद रेल यातायात सामान्य हो सका। हालांकि इस दौरान कुछ समय तक ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित रही।

मवेशी पालन क्षेत्र और लगातार दुर्घटनाएं

गुरहनवा स्टेशन के आसपास बड़ी संख्या में लोग मवेशी पालन करते हैं। यहां के ग्रामीण मुख्य रूप से बकरी और गाय-भैंस पालकर अपनी आजीविका चलाते हैं। अक्सर मवेशी ट्रैक पार करते समय दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है, बल्कि पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं।

स्थानीय निवासी शकील अहमद ने कहा कि रेलवे लाइन के दोनों ओर गांव बसे हैं। ग्रामीणों और मवेशियों को एक ओर से दूसरी ओर जाने के लिए मजबूरी में ट्रैक पार करना पड़ता है। यही वजह है कि आए दिन ऐसी दुर्घटनाएं होती रहती हैं।

ग्रामीणों की मांग

घटना के बाद ग्रामीणों ने रेलवे और प्रशासन से उचित कदम उठाने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि स्टेशन के पास कोई अंडरपास या सुरक्षित क्रॉसिंग नहीं है, जिससे लोग और मवेशी आसानी से ट्रैक पार कर सकें। अगर शीघ्र ठोस कदम नहीं उठाए गए तो भविष्य में भी ऐसे हादसे होते रहेंगे।

गांव के बुजुर्ग रामेश्वर प्रसाद ने कहा, “हम लोग बार-बार अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं कि यहां अंडरपास बने या फाटक लगाया जाए। लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिलता है। अब हालत यह हो गई है कि मवेशी पालने वाले लोग रोज डर के साये में जी रहे हैं।”

आर्थिक नुकसान और चिंता

इस हादसे में 20 से अधिक बकरियों की मौत से उनके मालिक को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि बकरी पालन उनकी आय का अहम स्रोत है और इतनी बड़ी संख्या में बकरियों का मर जाना परिवार की आजीविका पर सीधा असर डालता है। मृत बकरियों के मालिक ने प्रशासन से उचित मुआवजे की भी मांग की है।

प्रशासन और रेलवे की भूमिका

फिलहाल रेलवे ने हादसे की जानकारी उच्चाधिकारियों को भेज दी है। रेलवे कर्मियों का कहना है कि नियमों के अनुसार ट्रैक पर मवेशी या पशुओं को लाने की अनुमति नहीं है, लेकिन ग्रामीणों की मजबूरी को देखते हुए समस्या का स्थायी समाधान ढूंढना जरूरी है।