मोतिहारी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कटहा पंचायत के मुखिया मनोज यादव ने किसानों के हित में एक सराहनीय कदम उठाया है। उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि उनके पंचायत के किसान उचित मूल्य पर यूरिया प्राप्त कर सकें, जिससे उनकी खेती सुरक्षित रह सके और आने वाले दिनों में गांव की आर्थिक स्थिति पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े। मुखिया का मानना है कि भारत कृषि प्रधान देश है और यहां की रीढ़ किसान ही हैं। यदि किसानों की फसल सुरक्षित नहीं रहेगी, तो न केवल उनकी रोज़ी-रोटी प्रभावित होगी, बल्कि पूरे समाज का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा।
सरकार द्वारा निर्धारित दर पर यूरिया वितरण
मुखिया मनोज यादव ने प्रेस को संबोधित करते हुए बताया कि सरकार ने यूरिया की कीमत 266 रुपये प्रति बोरी तय की है। अक्सर किसानों को कालाबाजारी के कारण यह खाद अधिक दामों पर खरीदनी पड़ती है, जिससे उनकी लागत बढ़ जाती है। लेकिन उन्होंने यह ठान लिया है कि उनके पंचायत में ऐसा अन्याय नहीं होगा। उन्होंने स्पष्ट कहा—
“मैंने यह जिम्मेदारी ली है कि 266 रुपये प्रति बोरी की दर से ही किसानों को यूरिया उपलब्ध कराऊं। हर किसान को उनके घर तक यूरिया पहुंचाया जा रहा है ताकि उन्हें बाजार के चक्कर न लगाने पड़ें।”
किसान के लिए खाद क्यों जरूरी?
खेती को जीवन से जोड़ते हुए मुखिया ने कहा कि जिस तरह इंसान के लिए भोजन ज़रूरी है, उसी तरह फसल के लिए खाद। अगर समय पर खाद नहीं मिलेगी तो खेत सूख जाएंगे और उत्पादन प्रभावित होगा। यह केवल किसान की समस्या नहीं रहेगी बल्कि पूरे समाज को प्रभावित करेगी। महंगाई बढ़ेगी, आम आदमी की थाली महंगी होगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था चरमराने लगेगी।
यूरिया की कालाबाजारी पर रोक
मोतिहारी और आसपास के जिलों में लंबे समय से यूरिया की कालाबाजारी की शिकायतें आती रही हैं। कई बार देखा गया कि दुकानदार किसानों से ज्यादा पैसे वसूलते हैं या फिर स्टॉक छुपा लेते हैं। मनोज यादव ने इस पर सख्त नाराजगी जताई और कहा कि पंचायत स्तर पर अब ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने किसानों को भरोसा दिलाया कि वे उनके साथ खड़े हैं।
“किसान की मेहनत और पसीना बेकार नहीं जाने दिया जाएगा। अगर किसान की फसल बचेगी तो पूरा समाज बचेगा। इसलिए मैं किसानों को सरकारी दर पर यूरिया उपलब्ध करा रहा हूं और भविष्य में भी यह व्यवस्था जारी रहेगी।”
किसानों में खुशी की लहर
मुखिया की इस पहल से पंचायत के किसानों में खुशी की लहर है। कई किसानों ने कहा कि समय पर उचित मूल्य पर यूरिया मिलने से उन्हें बड़ी राहत मिली है। अब वे बिना किसी चिंता के धान और अन्य फसलों की बुआई व देखभाल कर सकते हैं।
गांव के एक किसान ने बताया—
“पिछले साल हमें 300 से 320 रुपये में यूरिया खरीदनी पड़ी थी। उस समय बहुत दिक्कत हुई थी। लेकिन इस बार मुखिया जी ने हमारे लिए व्यवस्था कर दी है। अब हम निश्चिंत होकर खेती कर रहे हैं।”
कृषि प्रधान देश की सच्चाई
मनोज यादव ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की असली ताकत गांव और खेत हैं। किसानों के बिना देश अधूरा है। यही कारण है कि खाद, बीज और सिंचाई जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करना सरकार और जनप्रतिनिधियों की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। उन्होंने अपील की कि सभी पंचायत प्रतिनिधि किसानों के पक्ष में ऐसी ही ठोस पहल करें ताकि आने वाले समय में खाद और बीज की समस्या से किसान जूझने न पड़ें।
कटहा पंचायत का मॉडल बन सकता है उदाहरण
मोतिहारी विधानसभा क्षेत्र का कटहा पंचायत अब एक सकारात्मक उदाहरण बनकर सामने आया है। यहां किसानों को उनकी जरूरत के मुताबिक उचित मूल्य पर खाद मिल रहा है। इससे जहां कालाबाजारी पर अंकुश लग रहा है, वहीं किसानों की लागत भी नियंत्रित हो रही है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पंचायत स्तर पर ऐसी ही पहल हर जगह शुरू हो जाए तो किसानों को काफी सहूलियत मिलेगी।
जनजीवन पर असर
खेती केवल किसानों की रोज़ी-रोटी नहीं बल्कि पूरे समाज के भोजन का आधार है। अगर किसान की फसल प्रभावित होगी तो इसका सीधा असर सब्जी, अनाज और खाद्यान्न की कीमतों पर पड़ेगा। यही कारण है कि कथा पंचायत के मुखिया का यह कदम महज किसानों की मदद तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे समाज के हित से जुड़ा हुआ है।
भविष्य की योजना
मुखिया मनोज यादव ने कहा कि उनकी कोशिश है कि किसानों को केवल खाद ही नहीं, बल्कि बीज और अन्य कृषि उपकरण भी उचित दर पर उपलब्ध कराए जाएं। इसके लिए वे लगातार सरकारी विभागों से संपर्क में हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जैसे-जैसे योजनाएं बनेंगी, वे अपने पंचायत में किसानों तक पहुंचाएंगे।
निष्कर्ष
कटहा पंचायत के मुखिया मनोज यादव की पहल एक सकारात्मक संदेश देती है कि यदि स्थानीय जनप्रतिनिधि ठान लें तो किसानों की समस्याएं काफी हद तक कम की जा सकती हैं। यूरिया जैसे खाद की कालाबाजारी रोककर जब किसानों को सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर सुविधा दी जाती है, तो न केवल उनकी फसल सुरक्षित रहती है, बल्कि समाज की खुशहाली भी बनी रहती है। यह पहल इस बात का प्रमाण है कि जनप्रतिनिधि और पंचायत स्तर पर भी बड़ी-बड़ी समस्याओं का समाधान संभव है।








