सामुदायिक पुलिसिंग की नई मिसाल: बिहार में पहली ‘पुलिस-पब्लिक लाइब्रेरी’ की शुरुआत, 24×7 AC सुविधा से युक्त आधुनिक लाइब्रेरी

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बिहार पुलिस ने जनता से जुड़ाव को एक नया आयाम देते हुए सामुदायिक पुलिसिंग के तहत एक ऐतिहासिक पहल की है। राज्य में पहली बार ‘पुलिस-पब्लिक लाइब्रेरी’ की स्थापना की गई है, जो न केवल पुलिस और जनता के बीच सहयोग और विश्वास को मजबूत करने का कार्य करेगी, बल्कि युवाओं के बौद्धिक विकास, करियर निर्माण और डिजिटल सुरक्षा के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

यह लाइब्रेरी दिल्ली पुलिस की तर्ज पर स्थापित की गई है, जहां पुलिस और नागरिकों के बीच संवाद, समन्वय और विश्वास बढ़ाने पर खास जोर दिया गया है। समाज के सभी वर्ग, खासकर छात्र, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवा और जागरूक नागरिक इसका लाभ उठा सकते हैं।

क्या है ‘पुलिस-पब्लिक लाइब्रेरी’ की खासियत?

इस लाइब्रेरी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह 24 घंटे और 7 दिन खुली रहेगी। यानी, अब किसी को भी समय की बंदिश नहीं होगी। चाहे वह छात्र हो, नौकरीपेशा व्यक्ति या रिटायर्ड बुजुर्ग, कोई भी कभी भी यहां आकर अध्ययन कर सकता है। यह सुविधा विशेष रूप से उन लोगों के लिए वरदान साबित होगी जो व्यस्त दिनचर्या के कारण किसी निश्चित समय में पुस्तकालय नहीं जा पाते थे।

AC रूम की सुविधा इस लाइब्रेरी को आधुनिक और आरामदायक बनाती है। गर्मी या उमस भरे मौसम में भी लोग यहां आकर शांति से पढ़ाई कर सकते हैं। बैठने के लिए आरामदायक कुर्सियां, टेबल और रीडिंग लैंप की व्यवस्था की गई है ताकि पाठकों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

शुद्ध और ठंडे पानी की व्यवस्था भी यहां की प्रमुख सुविधाओं में शामिल है। पढ़ाई के दौरान रुकावट न हो, इसके लिए हर सुविधा को ध्यान में रखते हुए योजनाबद्ध ढंग से इस लाइब्रेरी को तैयार किया गया है।

अखबार, न्यूज और डॉक्यूमेंट्री से रहें अपडेट

लाइब्रेरी में अंग्रेजी और हिंदी के प्रमुख दैनिक समाचार पत्र उपलब्ध हैं। इससे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को करंट अफेयर्स, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मुद्दों की जानकारी, संपादकीय लेख और आर्थिक गतिविधियों की समझ बेहतर हो सकेगी।

इसके अलावा, टीवी पर न्यूज चैनलों का लाइव प्रसारण भी किया जा रहा है ताकि पाठक देश-दुनिया में घट रही घटनाओं से जुड़े रह सकें। इस सुविधा से वो छात्र भी लाभान्वित होंगे जो लिखित परीक्षा के साथ-साथ इंटरव्यू या ग्रुप डिस्कशन की तैयारी कर रहे हैं।

लाइब्रेरी की सबसे विशेष पहल में से एक है – साइबर अवेयरनेस डॉक्यूमेंट्री। आज के डिजिटल युग में साइबर अपराध एक गंभीर समस्या बन चुका है। इसी को ध्यान में रखते हुए यहां साइबर सुरक्षा से संबंधित डॉक्यूमेंट्री और विजुअल प्रेजेंटेशन की व्यवस्था की गई है, जिससे लोग ऑनलाइन फ्रॉड, सोशल मीडिया पर सतर्कता और डिजिटल व्यवहार की जानकारी प्राप्त कर सकें।

सामुदायिक पुलिसिंग का उद्देश्य और असर

यह पहल सामुदायिक पुलिसिंग की सोच को साकार करती है, जिसमें पुलिस महज कानून व्यवस्था बनाए रखने तक सीमित न रहकर समाज के सहयोगी के रूप में सामने आती है। इससे न सिर्फ पुलिस के प्रति आम जनता का भरोसा बढ़ेगा, बल्कि एक सकारात्मक संवाद भी कायम होगा।

लाइब्रेरी एक ऐसा माध्यम बन रहा है, जहां पुलिस और नागरिक एक साथ एक ही छत के नीचे बैठकर ज्ञान, जागरूकता और विश्वास का आदान-प्रदान कर सकते हैं। इससे पुलिस को समाज की जरूरतों को समझने और बेहतर ढंग से सेवा देने में मदद मिलेगी, वहीं समाज में अपराध के प्रति सजगता भी बढ़ेगी।

युवाओं के लिए एक वरदान

प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए यह लाइब्रेरी किसी ‘ज्ञान मंदिर’ से कम नहीं है। इंटरनेट और मोबाइल की दुनिया से दूर, शांत और अनुशासित माहौल में अध्ययन करने का मौका मिलेगा। वहीं, विभिन्न अखबारों और न्यूज स्रोतों से उन्हें करियर से संबंधित जानकारी भी मिल सकेगी।

आने वाले समय में यहां करियर गाइडेंस सेमिनार, साइबर सेफ्टी वर्कशॉप, और जन-संवाद सत्र आयोजित करने की भी योजना है, जिससे यह स्थान केवल अध्ययन तक सीमित न रहकर एक सक्रिय ज्ञान केंद्र बन सके।

स्थानीय जनता में उत्साह और सराहना

इस पहल को लेकर आम जनता और स्थानीय युवाओं में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। कई अभिभावकों ने इसे अपने बच्चों के लिए सुरक्षित और लाभकारी स्थान बताया। वहीं, बुजुर्ग नागरिकों के लिए भी यह एक शांति भरा वातावरण है, जहां वे समय बिताकर ज्ञानवर्धन कर सकते हैं।

एक युवा छात्रा ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, “हमें पढ़ने के लिए अब न तो लायब्रेरी बंद होने का डर रहेगा और न ही गर्मी से परेशानी। पुलिस विभाग की यह पहल काबिल-ए-तारीफ है।”

भविष्य की योजनाएं

पुलिस विभाग इस मॉडल को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में देख रहा है। अगर यह सफल रहा, तो बिहार के अन्य जिलों में भी ऐसे पुस्तकालय स्थापित किए जाएंगे। इसके लिए पंचायत स्तर तक विस्तार की योजना बनाई जा रही है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को भी उच्च स्तरीय अध्ययन-सुविधाएं मिल सकें।

इसके अलावा, डिजिटल लाइब्रेरी, ई-बुक्स, और वर्चुअल गेस्ट लेक्चर जैसे नवाचार भी जोड़ने की योजना है, ताकि यह लाइब्रेरी आधुनिक तकनीकी संसाधनों से भी लैस हो सके।

निष्कर्ष

बिहार में सामुदायिक पुलिसिंग के तहत शुरू की गई यह ‘पुलिस-पब्लिक लाइब्रेरी’ न केवल एक पुस्तकालय है, बल्कि यह समाज को जोड़ने, जागरूक करने और शिक्षित करने का एक आदर्श केंद्र है। यह पहल साबित करती है कि यदि पुलिस और समाज एक साथ मिलकर काम करें, तो बदलाव की राह आसान हो सकती है।

यह सिर्फ किताबों और अखबारों तक सीमित नहीं, बल्कि यह एक नई सोच, एक नई दिशा और एक नए रिश्ते की शुरुआत है — पुलिस और जनता के बीच विश्वास, संवाद और सहयोग की शुरुआत। बिहार पुलिस की यह पहल पूरे देश के लिए प्रेरणा बन सकती है।