मोतिहारी: प्रेम और श्रद्धा की मिसाल कायम करते हुए कल्याणपुर प्रखंड के मधुचाई गांव में पूर्व पंचायत सचिव किशुन राम ने अपनी दिवंगत पत्नी शारदा देवी की स्मृति में एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया है। इस मंदिर का निर्माण उन्होंने अपनी पत्नी के प्रति अगाध प्रेम और सम्मान के प्रतीक के रूप में किया है।
पत्नी के निधन के बाद टूट गए थे किशुन राम
करीब छह साल पहले, 2018 में, किशुन राम की पत्नी शारदा देवी का हार्ट अटैक से निधन हो गया था। इस घटना ने उन्हें गहरे शोक में डाल दिया। वर्षों तक उन्होंने खुद को अकेला और असहाय महसूस किया। पत्नी के बिना उनका जीवन अधूरा लगने लगा। लेकिन समय के साथ उन्होंने अपनी भावनाओं को एक सकारात्मक दिशा देने का निर्णय लिया और अपनी पूरी जमा-पूंजी से उनकी स्मृति में एक मंदिर बनाने का निश्चय किया।
रिटायरमेंट की राशि से कराया मंदिर का निर्माण
किशुन राम पंचायत सचिव के पद से रिटायर हुए थे। सेवानिवृत्ति के बाद मिली राशि को उन्होंने मंदिर निर्माण में लगा दिया। यह मंदिर न सिर्फ उनकी पत्नी की यादों को जीवंत रखेगा बल्कि गांव के लोगों के लिए भी आस्था का केंद्र बनेगा। उन्होंने कहा, “शारदा देवी केवल मेरी पत्नी नहीं थीं, वे मेरे जीवन की प्रेरणा थीं। यह मंदिर उनके सम्मान में एक छोटी सी श्रद्धांजलि है।”
गांववालों का मिला सहयोग
मधुचाई गांव में बने इस मंदिर को लेकर ग्रामीणों में भी काफी उत्साह है। गांव के बुजुर्ग और युवा सभी इस नेक कार्य की सराहना कर रहे हैं। गांव के मुखिया सुरेश प्रसाद ने कहा, “किशुन राम जी ने जो किया वह मिसाल है। यह मंदिर उनकी पत्नी के प्रति उनके अटूट प्रेम को दर्शाता है और हमें भी अपने प्रियजनों को सम्मान देने की प्रेरणा देता है।”
प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन
मंदिर निर्माण पूरा होने के बाद हाल ही में एक भव्य प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सैकड़ों ग्रामीणों ने हिस्सा लिया और श्रद्धा भाव से पूजा-अर्चना की। कार्यक्रम के दौरान भंडारे का भी आयोजन किया गया, जिसमें गांव और आसपास के क्षेत्रों से आए श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
भावनाओं से जुड़ा एक अनोखा मंदिर
यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि प्रेम, समर्पण और यादों का प्रतीक भी है। आमतौर पर लोग मंदिरों का निर्माण धार्मिक आस्था के चलते करते हैं, लेकिन किशुन राम का यह मंदिर एक अनोखी मिसाल है, जो दिखाता है कि सच्चा प्रेम केवल जीवन तक सीमित नहीं रहता, बल्कि वह मृत्यु के बाद भी जीवित रहता है।
गांव में श्रद्धा का केंद्र बना मंदिर
अब यह मंदिर न केवल किशुन राम के लिए, बल्कि पूरे गांव के लिए एक श्रद्धा और आस्था का केंद्र बन गया है। यहां प्रतिदिन श्रद्धालु पूजा करने आते हैं और इसे पुण्य स्थल मानते हैं। किशुन राम का कहना है कि जब तक वह जीवित रहेंगे, इस मंदिर की देखभाल और सेवा करते रहेंगे।
एक प्रेरणादायक पहल
किशुन राम की यह पहल समाज के लिए एक प्रेरणा है। यह दिखाता है कि प्रेम और समर्पण से किए गए कार्य हमेशा याद किए जाते हैं। उनका यह मंदिर न केवल उनकी पत्नी की स्मृति को अमर बनाएगा, बल्कि लोगों के दिलों में श्रद्धा और प्रेम का संदेश भी फैलाएगा।








