नवरात्र 15 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक, मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही है

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आचार्य नीरज मिश्र सम्पर्क नं 9631787733
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हर वर्ष मां दुर्गा नवरात्र में अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर पृथ्वी पर आती है
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अरेराज– इस बार शारदीय नवरात्र 15 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक है।इस नवरात्र पर देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर हो रहा है ।मां का हाथी पर आगमन शुभ फलदाई होता है।

आचार्य नीरज मिश्र के अनुसार इस बार मां का प्रस्थान या विदाई मुर्गी पर हो रही है यह अशुभ फलदाई है। इस वर्ष नवरात्र पूरे 9 दिन के है यानी कोई तिथि घट या बढ़ नहीं रही है।

देवी भागवत के उपयुक्त श्लोक के अनुसार सोमवार के दिन कलश की स्थापना होने पर देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती है। देवी का हाथी पर सवार होकर आना अति शुभ होता है ।यह अच्छी वर्षा का प्रतीक है, मेहनत करने वालों को मेहनत का फल और मां की कृपा प्राप्त होती है।

शनिवार या मंगलवार के दिन नवरात्र प्रारंभ होने पर देवी का वाहन घोड़ा होता है। मां दुर्गा का घोड़े पर आना सत्ता परिवर्तन या युद्ध का प्रतीक है। यह सता पक्ष के लिए प्रतिकूल और विपक्ष के लिए शुभ स्थिति बनाता है।

गुरुवार या शुक्रवार के दिन नवरात्र प्रारंभ हो तो देवी पालकी में बैठकर आती है ।यह अशुभ होता है ।इससे महामारी, दंगे ,प्राकृतिक आपदा और जनहानि जैसी स्थितियां पैदा होती है।

इसी प्रकार बुधवार के दिन नवरात्र की शुरुआत हो तो देवी दुर्गा नाव पर सवार होकर आती है। देवी का नाव पर आगमन हर प्रकार से शुभ होता है। भरपूर बारिश और अच्छी फसल होती है, कष्ट दूर होने के साथ-साथ सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

यह स्वाभाविक है कि जब देवी का आगमन होगा, तो उनकी विदाई भी होगी। माता की विदाई दशमी की होती है।

उस दिन रविवार या सोमवार हो तो देवी भैंस पर सवार होकर जाती है, इसका प्रभाव देश पर अशुभ होता है। यह रोग और शोक स्थितियां बनता है।

शनिवार या मंगलवार के दिन दशमी होने पर देवी की सवारी मुर्गा होती है। इसके अशुभ फल होते हैं। इससे दुखों और कष्टों में वृद्धि होती है ।अगर विदाई बुधवार या शुक्रवार के दिन हो तो देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर जाती है ।यह शुभ माना जाता है ।इसका अर्थ है कि आपको आपके अच्छे कार्यों का फल मिलेगा।

बृहस्पतिवार के दिन दशमी हो तो देवी दुर्गा की सवारी मनुष्य होती है। यह शुभ फलदायक होती है। इससे देश में चारों तरफ सुख -शांति और संपन्नता होती है।

दुर्गम नामक असुर का वध करने के बाद मां भगवती दुर्गा नाम से विख्यात हुई।

शशिसूर्यं गजरूढा़ शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे दोलायम बुधे नौका प्रकीर्तिता।।”