मेहसी के तिरहुत उच्च विद्यालय में बच्चों को कानूनी प्रावधानों, सुरक्षा अधिकारों और हेल्पलाइन सेवाओं की दी गई महत्वपूर्ण जानकारी

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पूर्वी चंपारण, 10 दिसंबर 2025 (बुधवार)। जिला में जेंडर आधारित हिंसा के विरुद्ध चलाए जा रहे 16 दिवसीय सक्रियता अभियान का अंतिम चरण आज मेहसी प्रखंड के तिरहुत उच्च विद्यालय, मेहसी में अत्यंत प्रभावी तरीके से संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बालिकाओं एवं बालकों को लैंगिक समानता, बाल विवाह उन्मूलन, हिंसा से संरक्षण और संबंधित कानूनी अधिकारों के प्रति सशक्त बनाना था। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र–छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और विशेषज्ञों द्वारा दी गई महत्वपूर्ण जानकारी को गंभीरता से सुना।

अभियान का मुख्य फोकस: जागरूकता ही सुरक्षा की पहली सीढ़ी

समापन समारोह के दौरान बाल विवाह मुक्त भारत, लैंगिक हिंसा रोकथाम तथा बच्चों के अधिकारों से जुड़े विभिन्न कानूनों और योजनाओं पर प्रतिभागियों को विस्तृत जागरूकता प्रदान की गई। विशेषज्ञों ने बताया कि समाज में तब तक सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है, जब तक युवा पीढ़ी कानूनों, अधिकारों और उपलब्ध सहायताओं के प्रति जागरूक न हो।

 

सत्र के दौरान बच्चों को कई महत्वपूर्ण कानूनों और सुरक्षा प्रावधानों पर विस्तार से जानकारी दी गई, जिनके माध्यम से वे स्वयं को और अपने आसपास के लोगों को सुरक्षित रख सकते हैं।

इन महत्वपूर्ण विषयों पर दी गई विस्तृत जानकारी

1. POCSO Act — बच्चों को लैंगिक अपराधों से संरक्षण

विशेषज्ञों ने POCSO Act के तहत बच्चों के विरुद्ध किसी भी प्रकार के लैंगिक अपराध की कानूनी परिभाषा, शिकायत की प्रक्रिया, आरोपी के लिए कठोर दंड और बच्चों के अधिकारों के बारे में बताया। बच्चों को यह भी समझाया गया कि किसी भी प्रकार की अनुचित हरकत, स्पर्श या हिंसा को तुरंत विश्वसनीय वयस्कों, शिक्षकों या हेल्पलाइन नंबरों पर सूचित करें।

2. बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006

सत्र में स्पष्ट किया गया कि बाल विवाह एक दंडनीय अपराध है। बालक का न्यूनतम विवाह योग्य आयु 21 वर्ष और बालिका का 18 वर्ष तय है। कानून के उल्लंघन पर माता-पिता, अभिभावक और संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है। बच्चों को बाल विवाह के स्वास्थ्य, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक दुष्परिणामों के बारे में भी जागरूक किया गया।

3. दहेज प्रतिषेध अधिनियम

दहेज लेना या देना दोनों ही अपराध हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि दहेज प्रथा न केवल सामाजिक बुराई है बल्कि कई प्रकार की घरेलू हिंसा और उत्पीड़न का कारण भी बनती है। इसलिए युवाओं को इस प्रथा के खिलाफ जागरूक रहना चाहिए।

4. घरेलू हिंसा अधिनियम (Domestic Violence Act)

घरेलू हिंसा के विभिन्न रूप—शारीरिक, मानसिक, आर्थिक व भावनात्मक हिंसा—के बारे में विस्तार से बताया गया। प्रतिभागियों को बताया गया कि महिलाएं और बच्चियां कानून के तहत सुरक्षित हैं और वे किसी भी प्रकार की हिंसा की स्थिति में तत्काल शिकायत कर सकती हैं।

5. महिला एवं बच्चियों से संबंधित सुरक्षा प्रावधान

सत्र में सुरक्षा से जुड़े विभिन्न सरकारी प्रावधान जैसे महिला सुरक्षा केंद्र, वन स्टॉप सेंटर, विधिक सहायता सेवाएं, पुलिस सहायता और परामर्श सेवाएं आदि की जानकारी दी गई।

6. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना

बच्चों को बताया गया कि यह योजना भ्रूण हत्या, भेदभाव और लैंगिक असमानता के खिलाफ एक प्रमुख सरकारी पहल है। इस योजना के तहत शिक्षा, सुरक्षा और समान अवसर सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

महत्वपूर्ण हेल्पलाइन नंबरों की जानकारी भी दी गई

कार्यक्रम में छात्रों को सूचित किया गया कि किसी भी आपात या संकट की स्थिति में तत्काल सहायता हेतु निम्नलिखित हेल्पलाइन सेवाएं उपलब्ध हैं—

महिला हेल्पलाइन – 181,चाइल्ड हेल्पलाइन – 1098,इमरजेंसी हेल्पलाइन – 112

छात्रों को इन नंबरों के महत्व, उपयोग की प्रक्रिया और आपात स्थिति में इन्हें कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है, इसकी व्यवहारिक जानकारी दी गई।

सत्र में शामिल हुए अधिकारी एवं विशेषज्ञ

इस मौके पर तिरहुत उच्च विद्यालय, मेहसी की प्रधानाचार्या पूनम कुमारी गुप्ता ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे अभियानों से छात्र–छात्राओं में आत्मविश्वास बढ़ता है और वे अपने अधिकारों एवं सुरक्षा को लेकर अधिक जागरूक होते हैं।

कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास निगम से जिला परियोजना प्रबंधक वीरेंद्र राम, जिला मिशन समन्वयक निधि कुमारी, जेंडर विशेषज्ञ निर्भय कुमार, तथा विद्यालय के शिक्षक प्रभात रंजन कुमार, अखिलेश कुमार, राजीव रंजन कुमार, नवनीत कुमार मिश्रा और साजिया विनीश उपस्थित रहे।

करीब 250 बच्चों ने कार्यक्रम में भाग लिया और विभिन्न सत्रों के माध्यम से कानूनों और सुरक्षा उपायों के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की।

बालिकाओं के बीच कबड्डी प्रतियोगिता ने बढ़ाया उत्साह

कार्यक्रम को रोचक और प्रेरणादायी बनाने के लिए बालिकाओं के बीच कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। खेल के माध्यम से बालिकाओं में आत्मविश्वास, टीमवर्क और शारीरिक सशक्तिकरण का संदेश दिया गया। प्रतियोगिता में जीतने और भाग लेने वाली बालिकाओं को प्रशंसा और प्रोत्साहन मिला।

बच्चों को वितरित किए गए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ लोगोयुक्त टी-शर्ट और कैप

अभियान के समापन पर सभी छात्र–छात्राओं को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ लोगोयुक्त टी-शर्ट और कैप देकर सम्मानित किया गया। इससे बच्चों में उत्साह और जागरूकता का माहौल और भी बढ़ गया। इस पहल का उद्देश्य केवल सूचना देना ही नहीं था, बल्कि बच्चों में सकारात्मक सामाजिक संदेश को आत्मसात कराना भी था।

समापन संदेश जागरूकता से ही बनेगा सुरक्षित समाज

इस 16 दिवसीय अभियान के जरिए महिलाओं, बच्चियों और बच्चों के प्रति हिंसा, भेदभाव और शोषण के विरुद्ध जागरूकता फैलाने का लक्ष्य सफलतापूर्वक पूरा हुआ। कार्यक्रम में कहा गया कि जब समाज का हर व्यक्ति कानून, अधिकारों और सुरक्षा उपायों के प्रति जागरूक होगा, तभी एक सुरक्षित, संवेदनशील और समानत