बराजपुर में बाल विवाह व जेंडर आधारित हिंसा पर जागरूकता अभियान, महिलाओं-बच्चों की सुरक्षा को लेकर लिया गया शपथ

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मोतिहारी। महिला एवं बाल विकास निगम, ग्राम नियोजन केन्द्र और चाइल्ड हेल्पलाइन, पूर्वी चंपारण के संयुक्त तत्वावधान में बराजपुर में बाल विवाह और जेंडर आधारित हिंसा (Gender Based Violence) के प्रति जनजागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य समुदाय को बाल विवाह की हानियों, महिलाओं और बच्चों के अधिकारों तथा लैंगिक भेदभाव के दुष्प्रभावों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करना था।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं, किशोरियों, अभिभावकों और स्थानीय समुदाय के सदस्यों ने हिस्सा लिया। प्रतिभागियों को बाल विवाह रोकने हेतु उपलब्ध कानूनी प्रावधान, महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ हिंसा की शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया और सरकारी सुरक्षा उपायों के बारे में विस्तार से बताया गया। साथ ही 1098 चाइल्डलाइन सेवा की भूमिका, उसके उपयोग और मौजूदा सरकारी योजनाओं की जानकारी भी साझा की गई, जो संकट की स्थिति में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

ग्राम नियोजन केन्द्र, चंपारण के प्रोजेक्ट मैनेजर श्री सत्येंद्र प्रसाद कुशवाहा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि समाज में बाल विवाह रोकना और बच्चों व महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना हर नागरिक का नैतिक और सामाजिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता का वातावरण तैयार किए बिना समाज में वास्तविक विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। इसलिए समुदाय के प्रत्येक व्यक्ति को इस दिशा में जागरूक व सतर्क रहना होगा।

महिला एवं बाल विकास निगम के जिला परियोजना प्रबंधक (DPM) श्री वीरेंद्र कुमार ने बाल विवाह को एक गंभीर सामाजिक चुनौती बताते हुए कहा कि यह बच्चों के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास में बाधा उत्पन्न करता है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह न केवल स्वास्थ्य संबंधी जोखिम बढ़ाता है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक प्रगति की राह में भी अवरोध खड़ा करता है। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि समुदाय के लोग इस कुप्रथा को समाप्त करने में सक्रिय योगदान दें और बच्चों को सुरक्षित, स्वस्थ व समान अवसर वाला वातावरण प्रदान करें।

चाइल्ड हेल्पलाइन, पूर्वी चंपारण की डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर सुश्री खुशबू कुमारी और  अभिषेक श्रीवास्तव ने 1098 चाइल्डलाइन सेवा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह सेवा बच्चों की सुरक्षा के लिए एक प्रभावी और त्वरित सहायता माध्यम है। उन्होंने कहा कि बच्चों और महिलाओं के खिलाफ हिंसा, दुर्व्यवहार या किसी भी प्रकार की प्रताड़ना की सूचना तुरंत संबंधित अधिकारियों को देनी चाहिए, ताकि समय रहते पीड़ितों की मदद हो सके।

कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों से शपथ दिलाई गई कि वे अपने गांव, समुदाय और समाज में बाल विवाह का पुरजोर विरोध करेंगे, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे और लैंगिक समानता को बढ़ावा देंगे।

इस जागरूकता अभियान को समुदाय में सकारात्मक बदलाव की एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है। संयुक्त संस्थाओं ने इस तरह के कार्यक्रमों को आगे भी निरंतर जारी रखने का संकल्प व्यक्त किया, ताकि समाज में जागरूकता की एक मजबूत श्रृंखला विकसित हो सके और एक सुरक्षित, बाल विवाह मुक्त तथा लैंगिक समानता पर आधारित समाज की नींव रखी जा सके।

इस पहल से स्पष्ट संदेश जाता है कि सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन और समान अधिकारों की स्थापना के लिए सामूहिक प्रयास, जागरूकता और सहयोग बेहद आवश्यक हैं।