CM नीतीश कुमार को बड़ा झटका, जन सुराज में शामिल हुए जेडीयू के दो दिग्गज नेता

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पटना। बिहार की सियासत में विधानसभा चुनाव 2025 से पहले लगातार नए समीकरण बन रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शुक्रवार को बड़ा झटका लगा है। जेडीयू के दो दिग्गज नेताओं दसई चौधरी और भुवन पटेल ने पार्टी से नाता तोड़कर प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का दामन थाम लिया। पटना के शेखपुरा हाउस में आयोजित भव्य मिलन समारोह में दोनों नेताओं ने अपने समर्थकों के साथ जन सुराज की सदस्यता ली।

जन सुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने इन दोनों नेताओं का स्वागत किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि “दसई चौधरी और भुवन पटेल जैसे नेता नीतीश कुमार के संघर्ष के दिनों से साथ रहे हैं। नीतीश कुमार ने इन्हीं जैसे अनुभवी नेताओं के सहारे अपनी राजनीति की नींव मजबूत की थी। लेकिन अब वे रास्ते से भटक गए हैं। यही कारण है कि पुराने साथी अब उनसे दूरी बना रहे हैं।”

दसई चौधरी का नीतीश पर बड़ा हमला

कार्यक्रम के दौरान पूर्व सांसद और तीन बार विधायक रहे दसई चौधरी ने जेडीयू और नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा –
“जब मैं विधायक था, तब नीतीश जी कुछ भी नहीं थे। मैंने लालू यादव के खिलाफ तन, मन और धन से नीतीश कुमार का साथ दिया। लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्होंने हमें भुला दिया। संगठन और सरकार दोनों में कोई अहम जिम्मेदारी नहीं दी। कई बार मुलाकात कर निवेदन किया, लेकिन उन्होंने कभी सकारात्मक जवाब नहीं दिया।”

दसई चौधरी ने साफ किया कि उन्हें चुनाव लड़ने की कोई इच्छा नहीं है। उन्होंने कहा –
मैं महुआ से चुनाव नहीं लड़ूंगा। अब संगठन में काम करना चाहता हूं। मैं पहले एमएलसी रहा हूं, तीन बार विधायक, सांसद और चंद्रशेखर सरकार में मंत्री भी रह चुका हूं। अब मुझे व्यक्तिगत रूप से कुछ नहीं चाहिए, लेकिन संगठन और जनता के लिए काम करूंगा।”

नीतीश कुमार जीनियस हैं, लेकिन…’भुवन पटेल

कार्यक्रम में शामिल भुवन पटेल ने भी नीतीश कुमार पर तीखे सवाल उठाए। उन्होंने कहा –

“मैं समता पार्टी का फाउंडर मेंबर रहा हूं। पूर्वी और पश्चिमी चंपारण जिलों का जिलाध्यक्ष रहा हूं। बिहार और उत्तर प्रदेश में चुनाव पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी भी निभा चुका हूं। नीतीश कुमार अब भी बिहार के सबसे जीनियस मुख्यमंत्री हैं, लेकिन उनकी उम्र और शारीरिक क्षमता अब सीमित हो गई है। सरकार अब कुछ लोगों के इशारे पर चल रही है।”

भुवन पटेल ने कहा कि जिस तरह जन सुराज युवाओं और अनुभवी नेताओं को साथ लेकर आगे बढ़ रही है, वह आने वाले समय में बिहार की राजनीति में अहम भूमिका निभाएगी।

चुनावी मौसम में नीतीश को करारा झटका

बिहार विधानसभा चुनाव में अब सिर्फ कुछ ही महीने बाकी हैं। ऐसे समय में जेडीयू के दो वरिष्ठ नेताओं का पाला बदलना नीतीश कुमार के लिए किसी करारे झटके से कम नहीं है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 

दसई चौधरी और भुवन पटेल दोनों का अपने-अपने क्षेत्रों में अच्छा जनाधार है।

इनके जाने से जेडीयू का संगठनात्मक ढांचा कमजोर होगा।

प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज को इससे मजबूत राजनीतिक धार मिलेगी।

विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि नीतीश कुमार लंबे समय से सहयोगियों को संतुष्ट करने में नाकाम रहे हैं। यही वजह है कि पार्टी के पुराने और अनुभवी नेता अब धीरे-धीरे किनारा कर रहे हैं।

प्रशांत किशोर का बढ़ता कद

जन सुराज की कमान संभाल रहे प्रशांत किशोर ने इस मौके पर बड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा –

“जन सुराज अब किसी व्यक्ति विशेष की पार्टी नहीं, बल्कि जनता की उम्मीदों की पार्टी है। बिहार के हर वर्ग के लोगों को इसमें शामिल किया जाएगा। जो लोग राजनीति में सेवा भाव और जनहित के साथ काम करना चाहते हैं, उनके लिए जन सुराज दरवाजे खुले हैं।”

प्रशांत किशोर ने जेडीयू और नीतीश पर अप्रत्यक्ष हमला करते हुए कहा कि अब जनता बदलाव चाहती है और 2025 का चुनाव इसका प्रमाण होगा।

बदलते समीकरण और सियासी उठापटक

बिहार की राजनीति हमेशा से गठबंधन और पाला बदलने के लिए जानी जाती है। लेकिन इस बार चुनाव से ठीक पहले जेडीयू नेताओं का जन सुराज में जाना कई सवाल खड़े करता है –

1. क्या नीतीश कुमार की पकड़ कमजोर हो रही है?

2. क्या जन सुराज, जेडीयू के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाएगी?

3. क्या यह नीतीश के लिए 2025 में चुनौती साबित होगा?

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इन सवालों का जवाब आने वाले कुछ महीनों में साफ होगा। लेकिन इतना तय है कि दसई चौधरी और भुवन पटेल जैसे नेताओं का जन सुराज में शामिल होना एक बड़ा राजनीतिक संकेत है।

जनता के बीच बढ़ी चर्चा

पटना से लेकर चंपारण और महुआ तक इस घटना की चर्चा हो रही है।

ग्रामीण इलाकों में लोग इसे नीतीश कुमार की कमजोर होती पकड़ के तौर पर देख रहे हैं।

युवा वर्ग मान रहा है कि प्रशांत किशोर की रणनीति आने वाले समय में बड़ा बदलाव ला सकती है।

वहीं, जेडीयू समर्थक इसे कोई खास महत्व नहीं दे रहे और कह रहे हैं कि पार्टी चुनाव में मजबूती से उतरेगी।

निष्कर्ष

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने दो पुराने और भरोसेमंद नेताओं के रूप में बड़ा झटका मिला है। दसई चौधरी और भुवन पटेल का जन सुराज में शामिल होना न केवल जेडीयू के लिए चुनौती है, बल्कि आने वाले चुनाव में समीकरणों को भी प्रभावित करेगा।

जन सुराज की ओर से उदय सिंह और प्रशांत किशोर दोनों ने संकेत दिया है कि उनकी पार्टी अब पुराने और नए नेताओं को जोड़कर बिहार में नई राजनीति की नींव रखने जा रही है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि 2025 के चुनावी रण में इस उठापटक का क्या असर होता है।