मोतिहारी। चंपारण की धरती पर हमेशा से प्रतिभा की गंगा बहती रही है। इस भूमि ने साहित्य, कला, राजनीति और समाज सेवा के क्षेत्र में देश को कई रत्न दिए हैं। लेकिन जब बात आधुनिक दौर की हो, तो यहां की छुपी हुई कला और हुनर को पहचान देने के अवसर अक्सर कम ही मिलते हैं। इसी कमी को पूरा करने की कोशिश की है मां भवानी फिल्म्स एंटरटेनमेंट ने। संस्था के बैनर तले आयोजित “चंपारण गॉट टैलेंट” ने साबित कर दिया कि अगर सही मंच और अवसर मिले, तो यहां का बच्चा न केवल राज्य बल्कि देशभर में अपनी प्रतिभा का डंका बजा सकता है। 
🎭 बच्चों ने दिखाया हुनर, दर्शक हुए मंत्रमुग्ध
इस शो का आयोजन भले ही सीमित स्तर पर किया गया था और केवल चुनिंदा स्कूलों के बच्चों को आमंत्रित किया गया था, लेकिन जिस आत्मविश्वास और ऊर्जा के साथ बच्चों ने मंच पर अपनी प्रस्तुतियाँ दीं, उसने माहौल को राष्ट्रीय स्तर के किसी प्रतियोगिता जैसा बना दिया। 
डांस की थिरकनें:
जब नन्हे-मुन्ने कदम संगीत की लय पर थिरके, तो सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से देर तक गूंजता रहा। पारंपरिक लोकनृत्य से लेकर बॉलीवुड और वेस्टर्न स्टाइल तक बच्चों ने हर शैली में अपनी झलक पेश की। उनकी मासूम मुस्कान और तालमेल भरे कदमों ने साबित किया कि कला उम्र की मोहताज नहीं होती।
अभिनय की भावनाएँ:
मंच पर जब अभिनय का दौर शुरू हुआ, तो दर्शकों की सांसें थम सी गईं। बच्चों ने सामाजिक मुद्दों पर आधारित नाटकों से लेकर हास्य और भावनात्मक किरदारों तक इतने प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किए कि दर्शक दंग रह गए। कहीं मासूमियत से समाज की कुरूतियों पर चोट की गई, तो कहीं कॉमेडी से सबको हंसाते-हंसाते सोचने पर मजबूर कर दिया। 
संगीत की सुरमई महफिल:
सिंगिंग सेगमेंट ने तो मानो पूरी शाम को सुरों की महफिल में बदल दिया। बच्चों ने लोकगीतों से लेकर आधुनिक फिल्मी गानों तक अपनी मधुर आवाज़ से समां बांध दिया। उनकी गायकी में जहां रियाज़ की झलक थी, वहीं कला के प्रति जुनून भी साफ नज़र आया।
🎬 आयोजकों का उद्देश्य: मंच से परे भी पहचान
मां भवानी फिल्म्स एंटरटेनमेंट के प्रोपराइटर संजय मिश्रा ने बताया कि इस कार्यक्रम का असली मकसद बच्चों को सिर्फ प्रतियोगिता तक सीमित नहीं रखना, बल्कि उन्हें आगे का रास्ता दिखाना है। संस्था का विजन है कि चयनित प्रतिभाओं पर डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्म बनाई जाए, ताकि उनकी कला सिर्फ स्थानीय मंच तक सीमित न रह जाए बल्कि डिजिटल प्लेटफॉर्म और बड़े पर्दे पर भी पहुंचे।
संजय मिश्रा का मानना है कि –
“चंपारण की धरती हमेशा से प्रतिभाशाली रही है, लेकिन संसाधनों और अवसरों की कमी के कारण यहां का टैलेंट दब कर रह जाता है। चंपारण गॉट टैलेंट उसी कड़ी को तोड़ने का एक प्रयास है।”
👩🏫 शिक्षकों और अभिभावकों ने की सराहना
कार्यक्रम में मौजूद शिक्षकों और अभिभावकों ने भी इस पहल की खुलकर प्रशंसा की। उनका कहना था कि इस तरह के आयोजन बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं और उन्हें अपने भविष्य की दिशा तय करने में मददगार साबित होते हैं।
कई अभिभावकों की आंखों में खुशी के आँसू थे जब उन्होंने देखा कि उनका बच्चा मंच पर न केवल प्रदर्शन कर रहा है बल्कि सैकड़ों दर्शकों की तालियाँ बटोर रहा है।
🏆 चयनित प्रतिभाओं की सूची
पहले राउंड में कुल 23 बच्चों का चयन किया गया। इसमें –
जीवन इंटरनेशनल स्कूल से 8 बच्चे, सुप्रिया डांस एकेडमी से 8 बच्चे, दिल्ली पब्लिक स्कूल से 3 बच्चे, सीएमजी इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन से 2 बच्चे, द स्टडी पार्क और डाइट स्मार्ट एकेडमी से 1-1 बच्चा शामिल हुआ।
आयोजकों ने घोषणा की कि यह सिर्फ शुरुआत है। अभी छह और राउंड का ऑडिशन होना बाकी है, जिसमें और भी बच्चों और कलाकारों को मौका मिलेगा। इस तरह ज्यादा से ज्यादा प्रतिभाओं को सामने लाया जाएगा और उन्हें राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का प्रयास होगा।
📽️ भविष्य की राह: डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्म
चयनित प्रतिभाओं को लेकर डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्म बनाई जाएगी। इसका उद्देश्य होगा बच्चों की कला को दर्शाना और यह संदेश देना कि ग्रामीण और छोटे शहरों में छिपी प्रतिभा किसी से कम नहीं। डिजिटल प्लेटफॉर्म और बड़े पर्दे पर जब ये चेहरे नजर आएंगे, तो निश्चित ही चंपारण का नाम रोशन होगा।
🌟 चंपारण की नई पीढ़ी में अपार संभावनाएं
यह आयोजन सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह इस बात का गवाह बना कि चंपारण की नई पीढ़ी में असीम संभावनाएं हैं। बच्चे सही दिशा और मंच पाकर वह सब कर सकते हैं जो आज बड़े शहरों के कलाकार करते हैं।
🙏 प्रायोजकों का योगदान
आयोजकों ने कार्यक्रम की सफलता में सहयोग देने के लिए मणि हॉस्पिटल का आभार जताया। उन्होंने कहा कि इस तरह के सहयोग से ही बड़े सपनों को हकीकत में बदला जा सकता है।
✍️ निष्कर्ष
“चंपारण गॉट टैलेंट” ने यह साबित कर दिया कि हुनर किसी सीमा का मोहताज नहीं होता। बच्चों ने अपनी मासूमियत, आत्मविश्वास और कला से यह संदेश दिया कि चंपारण की धरती पर अभी भी कला की नदियाँ बह रही हैं। जरूरत है केवल ऐसे आयोजनों की, जो उन नदियों को समंदर तक पहुंचने का रास्ता दिखा सकें।
यह आयोजन एक नए युग की शुरुआत है, जहां छोटे शहरों की प्रतिभा को वैश्विक मंच तक ले जाने का सपना देखा जा रहा है।








