बिना OTP के बन रहे थे फर्जी राशन और आधार कार्ड, दो साइबर कैफे सील, गिरोह का पर्दाफाश

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बिहार राज्य में एक बार फिर साइबर अपराध का चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां बिना किसी विभागीय OTP के असली जैसे दिखने वाले राशन कार्ड और आधार कार्ड तैयार किए जा रहे थे। यह गोरखधंधा एक नहीं बल्कि दो साइबर कैफे से संचालित हो रहा था—‘भवानी साइबर कैफे (नौंवाडीह) और ‘डिजिटल साइबर कैफे’ (लगुनिया)। इन दोनों संस्थानों ने सरकारी प्रणाली में सेंधमारी कर आम जनता के अधिकारों पर सीधा हमला किया है।

जैसे ही इस फर्जीवाड़े की भनक साइबर थाना को लगी, एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन कर छापेमारी शुरू की गई। पहली कार्रवाई में भवानी साइबर कैफे से दो और डिजिटल साइबर कैफे से तीन व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया। प्रारंभिक जांच में पता चला कि यह गिरोह पिछले कई वर्षों से सक्रिय था और अत्याधुनिक तकनीकों की मदद से सरकारी पोर्टल्स को बायपास कर फर्जी दस्तावेज तैयार कर रहा था।

बिना OTP के बन रहे थे दस्तावेज

साइबर डीएसपी के मुताबिक, आरोपियों ने OTP सिस्टम को बायपास करने की तकनीक विकसित कर ली थी, जिससे वे बिना किसी सत्यापन के आधार कार्ड अपडेट कर सकते थे और नए राशन कार्ड बना सकते थे। यह पूरा नेटवर्क इंटरनेट की गहराइयों में छिपा हुआ था और आम लोगों को शक भी नहीं हो सकता था कि जिन दस्तावेजों को वे असली मान रहे हैं, वे असल में फर्जी हैं।

सरकारी पोर्टल में अनाधिकृत एक्सेस

यह गिरोह UIDAI, NFSA और राज्य सरकार के अन्य विभागीय पोर्टलों में अनाधिकृत रूप से एक्सेस कर रहा था। जिन दस्तावेजों को बनाने के लिए एक आम नागरिक को घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ता है, उन्हें यह गैंग महज कुछ मिनटों में तैयार कर देता था। इसके लिए उनसे मोटी रकम वसूली जाती थी, जो प्रति आधार अपडेट के लिए ₹500 से लेकर राशन कार्ड के लिए ₹2000 तक थी।

आधार कार्ड के दुरुपयोग का खतरा

सबसे गंभीर बात यह है कि इस गिरोह के पास हजारों आधार नंबरों का डाटा था, जिसका वे मनमाने ढंग से उपयोग कर रहे थे। कुछ मामलों में तो मृत व्यक्तियों के नाम पर भी राशन कार्ड जारी किए गए हैं, जिससे सरकारी योजनाओं में भारी हेराफेरी की आशंका जताई जा रही है।

अन्य जिलों में भी फैला नेटवर्क

जांच एजेंसियों का कहना है कि गिरोह का नेटवर्क छपरा, सुपौल, मधेपुरा, दरभंगा, और वैशाली तक फैला हुआ है। गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में कई और नाम सामने आए हैं, जिनकी तलाश में SIT ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है।

कैसे हुआ खुलासा?

एक स्थानीय निवासी ने जब अपने आधार में अपडेट के लिए आवेदन किया और उसे OTP नहीं मिला, तब उसे शक हुआ। जब उसने संबंधित विभाग से संपर्क किया, तो पाया कि बिना OTP के ही उसका आधार अपडेट हो चुका है। यहीं से पुलिस को इस हाईटेक ठगी का सुराग मिला और जांच शुरू हुई।

साइबर थाना ने शुरू की सघन पूछताछ

गिरफ्तार किए गए आरोपियों से सघन पूछताछ जारी है। साइबर थाना के अनुसार, अभी तक जो तथ्य सामने आए हैं, वे बेहद गंभीर हैं और यह मामला केवल दस्तावेजों की फर्जीवाड़े तक सीमित नहीं है। कुछ आरोपियों के पास से पासपोर्ट, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस के फर्जी नमूने भी मिले हैं।

कई विभागों में मचा हड़कंप

जैसे ही यह खबर फैली, UIDAI, खाद्य आपूर्ति विभाग और गृह विभाग में हड़कंप मच गया। सभी संबंधित अधिकारियों को अलर्ट कर दिया गया है और जिन दस्तावेजों के सत्यापन में यह गैंग शामिल था, उनकी दोबारा जांच की जा रही है।

सरकार ने दिए जांच के आदेश

राज्य सरकार ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। साथ ही, सभी साइबर कैफे का नए सिरे से सत्यापन और तकनीकी ऑडिट करवाने का निर्देश दिया गया है।

क्या कहती है पुलिस?

साइबर डीएसपी ने बताया, “गिरोह बहुत ही पेशेवर ढंग से काम कर रहा था। इनके पास उच्च स्तरीय सॉफ्टवेयर और सर्वर एक्सेस था। OTP सिस्टम को बायपास करना आसान नहीं है, लेकिन इन्होंने सरकारी प्रणाली की कमजोरियों का फायदा उठाया।”