मोतिहारी, पूर्वी चंपारण – सोशल मीडिया के बढ़ते क्रेज के बीच पूर्वी चंपारण जिले से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है। जिले के लखौरा थाना क्षेत्र अंतर्गत सरसौला स्कूल के पास गुरुवार, 15 मई 2025 को पुलिस की वर्दी में घूम रहे छह युवकों को पुलिस ने धर दबोचा। पूछताछ में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि ये सभी युवक यूट्यूब के लिए वीडियो शूट करने के मकसद से वर्दी पहनकर आए थे।
थानाध्यक्ष पंकज कुमार ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि कुछ संदिग्ध युवक पुलिस की वर्दी में इलाके में घूम रहे हैं। सूचना के सत्यापन के बाद पुलिस टीम ने मौके पर पहुंच कर त्वरित छापेमारी की। इस दौरान पुलिस ने अंदल कुमार, अमन कुमार, सुमन कुमार, संजय कुमार, मोहम्मद अफरोज और अमरनाथ कुमार को गिरफ्तार कर लिया।
मौके से बरामद हुआ नकली हथियार और वीडियो शूटिंग का सामान
छापेमारी के दौरान पुलिस ने मौके से दो प्लास्टिक की बनी हुई नकली AK-47, एक लकड़ी की बंदूक, पुलिस की टोपी, ‘सिंघम’ नाम की नेम प्लेट और एक डिजिटल कैमरा बरामद किया। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे यूट्यूब के लिए एक पुलिस थीम पर आधारित एक्शन वीडियो शूट करने आए थे, जिसे वे सोशल मीडिया पर अपलोड कर पैसा कमाना चाहते थे। इन युवकों ने बताया कि उनका मकसद किसी अपराध को अंजाम देना नहीं था, बल्कि वे सिर्फ एक ‘रील’ बना रहे थे।
थानाध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि भले ही इनका उद्देश्य यूट्यूब वीडियो बनाना था, लेकिन पुलिस वर्दी का इस तरह इस्तेमाल कानून का उल्लंघन है। यह न केवल एक अपराध है, बल्कि इससे आम जनता के बीच भ्रम की स्थिति भी उत्पन्न होती है, जिससे कानून-व्यवस्था को खतरा पहुंच सकता है।
सोशल मीडिया की सनक में कानून की अनदेखी
पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की है और शुक्रवार, 16 मई 2025 को सभी को मोतिहारी सेंट्रल जेल भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
यह घटना एक बार फिर सोशल मीडिया के प्रति युवाओं की बढ़ती सनक और उससे उपजने वाली सामाजिक एवं कानूनी समस्याओं की ओर इशारा करती है। आजकल युवाओं में यूट्यूब, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर रील्स और वीडियो अपलोड कर लोकप्रिय होने की ललक इस कदर बढ़ गई है कि वे कानून तक की परवाह नहीं करते।
मोटे तौर पर देखा जाए तो इन युवाओं का उद्देश्य प्रसिद्धि और पैसा कमाना था, लेकिन उन्हें यह समझना होगा कि हर कार्य की एक सीमा होती है। पुलिस वर्दी पहनना और नकली हथियार लेकर सार्वजनिक स्थल पर घूमना कानून का उल्लंघन है और इससे लोगों में भय उत्पन्न हो सकता है।
पुलिस ने जताई चिंता
लखौरा थाना के थानाध्यक्ष पंकज कुमार ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है और इसका मकसद चाहे जो हो, इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस इस प्रकार की घटनाओं को लेकर पहले भी सतर्क रही है और भविष्य में भी सोशल मीडिया के नाम पर कानून तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
थानाध्यक्ष ने कहा, “हमारे पास सूचना आई थी कि कुछ युवक पुलिस की वर्दी में सरसौला स्कूल के पास संदिग्ध हालत में घूम रहे हैं। हमने तुरंत सत्यापन कर कार्रवाई की और ये युवक पकड़ में आ गए। इनसे बरामद सामग्री देखकर साफ हो गया कि वे एक फर्जी पुलिस एक्शन वीडियो शूट करने आए थे। अगर समय रहते कार्रवाई नहीं होती तो इससे कोई बड़ी घटना या अफवाह फैल सकती थी।”
समाजशास्त्रियों की राय
समाजशास्त्रियों का मानना है कि युवाओं में तेजी से बढ़ता सोशल मीडिया का प्रभाव मानसिक स्तर पर एक ‘डोपामिन हिट’ जैसा असर डाल रहा है। हर लाइक, शेयर और कमेंट उन्हें आत्मसंतुष्टि देता है, और वे इसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। वे अक्सर यह नहीं सोचते कि उनके कृत्य का समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा या वे किसी अपराध की श्रेणी में आ रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को इस दिशा में और ज़िम्मेदार बनने की ज़रूरत है। साथ ही, युवाओं के माता-पिता और स्कूलों को भी बच्चों को जागरूक करने की आवश्यकता है कि डिजिटल दुनिया की सीमाएं क्या हैं और कानूनी एवं सामाजिक मर्यादाएं कैसे निभाई जाएं।
क्या कहता है कानून?
भारतीय कानून के तहत पुलिस वर्दी का दुरुपयोग करना या वर्दी पहनकर जनता के बीच भ्रम फैलाना एक दंडनीय अपराध है। इसके तहत दोषी को जुर्माना और जेल दोनों हो सकते हैं। इसके अलावा, नकली हथियार रखना और उसका सार्वजनिक स्थान पर प्रदर्शन करना भी शस्त्र अधिनियम के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में आता है।
निष्कर्ष
यह घटना सिर्फ छह युवकों की गिरफ्तारी नहीं है, बल्कि यह एक चेतावनी है उन सभी के लिए जो सोशल मीडिया की प्रसिद्धि पाने के लिए बिना सोच-समझ के कदम उठा लेते हैं। कानून की अनदेखी कर, वर्दी का मजाक बनाना, और समाज को भ्रमित करना किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है। पुलिस की सतर्कता और समय पर कार्रवाई ने एक संभावित सामाजिक संकट को टाल दिया, लेकिन यह जरूरी है कि समाज, अभिभावक और युवा खुद भी आत्मचिंतन करें और समझें कि डिजिटल प्रसिद्धि की दौड़ में खुद को और समाज को खतरे में डालना बुद्धिमानी नहीं है।








