इस्लामाबाद/नई दिल्ली – भारत की सशस्त्र सेनाओं ने एक बार फिर आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान के भीतर आतंकियों के कई ठिकानों पर जबरदस्त एयर स्ट्राइक की है। इस ऑपरेशन को नाम दिया गया है – ऑपरेशन सिंदूर।
भारतीय खुफिया एजेंसियों की विस्तृत जानकारी और सटीक योजना के तहत किए गए इस हमले में आतंकियों के कई गढ़ तबाह कर दिए गए हैं। सबसे बड़ी सफलता मिली है बहुचर्चित “बिलाल टेरर कैंप” के मुखिया याकूब मुगल के मारे जाने की। उसकी मौत के बाद उसके जनाजे में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और पाकिस्तान पुलिस के कई अधिकारी भी शामिल हुए, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तान की एजेंसियों और आतंकवादियों के बीच गठजोड़ अब किसी से छिपा नहीं है।
भारत द्वारा चलाए गए इस अभियान में कुल 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिसमें पाकिस्तान की सेना के अनुसार 24 मिसाइलें दागी गईं। पाक सेना ने अपने बयान में कहा कि इस हमले में 8 लोगों की मौत हुई है और 33 घायल हुए हैं। हालांकि भारत सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
नष्ट किए गए आतंकी ठिकानों की सूची इस प्रकार है:
1. मरकज़ सुभान अल्लाह, बहावलपुर – जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय।
2. मरकज़ तैयबा, मुरीदके – लश्कर-ए-तैयबा का प्रमुख अड्डा।
3. सरजाल/तेहरा कलां – हिज्बुल मुजाहिदीन से जुड़ा इलाका।
4. महमूना जोया सुविधा, सियालकोट – प्रशिक्षिण केंद्र।
5. मरकज़ अहले हदीस, बरनाला, भिम्बर – सलाफी विचारधारा का प्रचारक केंद्र।
6. मरकज़ अब्बास, कोटली – हथियारों की आपूर्ति का प्रमुख गढ़।
7. मस्कर राहील शाहिद, कोटली जिला – आतंकी सभा स्थल।
8. शावई नाला कैम, मुजफ्फराबाद – रणनीतिक कैम्प।
9. मरकज़ सैयदना बिलाल – याकूब मुगल का नियंत्रण केंद्र।
इन हमलों के बाद पाकिस्तान में खलबली मच गई है। सोशल मीडिया और स्वतंत्र मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, पाकिस्तानी फौज खुद आतंकियों की लाशों पर फातिहा पढ़ती देखी गई। खेतों में पाकिस्तानी पायलटों की चप्पलें और उपकरण बिखरे पड़े मिले, जिससे जाहिर होता है कि हमला बेहद तीव्र और अचानक था।
याकूब मुगल की मौत से हिला आतंकी नेटवर्क
बिलाल टेरर कैंप का प्रमुख आतंकी याकूब मुगल पिछले कई वर्षों से भारत में घुसपैठ और आत्मघाती हमलों की साजिश रच रहा था। भारतीय एजेंसियों के निशाने पर लंबे समय से था यह आतंकी। उसकी मौत ने न केवल जैश-ए-मोहम्मद के नेटवर्क को झटका दिया है, बल्कि पाकिस्तान में मौजूद उसके समर्थकों में भी भय का वातावरण है।
पाकिस्तानी फौज और ISI की भूमिका पर सवाल
याकूब के जनाजे में शामिल हुए ISI और पाक पुलिस अधिकारी यह दर्शाते हैं कि पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों की आतंकियों से सांठगांठ अब खुलकर सामने आ गई है। यह वही पाकिस्तान है जो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का दावा करता है, जबकि उसकी ज़मीन पर आतंकियों का सामूहिक कफ़न-दफन हो रहा है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा
भारत की इस कार्रवाई पर अभी तक अमेरिका, रूस, फ्रांस और संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा करेगा।
निष्कर्ष
ऑपरेशन सिंदूर भारत की तरफ से आतंक के विरुद्ध एक और निर्णायक संदेश है – कि भारत अब आतंकी हमलों का जवाब सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि एक्शन में देता है। भारत की जनता, सशस्त्र बलों के इस साहसिक कदम को सलाम कर रही है, वहीं पाकिस्तान की चुप्पी और घबराहट उसकी विफलता की कहानी कह रही है।








