मोतिहारी, बिहार – शनिवार को मोतिहारी के प्रतिष्ठित बापू सभागार (गांधी ऑडिटोरियम) में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) का जोन कार्यकर्ता सम्मेलन धूमधाम से आयोजित किया गया। इस विशेष मौके पर पार्टी प्रमुख और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी की उपस्थिति ने कार्यक्रम में एक नया उत्साह भर दिया। सभागार के मुख्य द्वार पर जैसे ही सहनी पहुंचे, पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने उन्हें फूलों की विशाल माला पहनाकर भव्य स्वागत किया। इस आत्मीय अभिनंदन से भावुक हुए सहनी ने कार्यकर्ताओं के प्रति आभार प्रकट किया और कहा कि यह सम्मान उन्हें जनता की सेवा के लिए और अधिक प्रतिबद्ध बनाता है।
सम्मेलन की मुख्य बातें:
वीआईपी पार्टी का यह सम्मेलन पूर्वी चंपारण, शिवहर और आसपास के जिलों से आए हजारों कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में संपन्न हुआ। पार्टी के स्थानीय पदाधिकारियों ने आयोजन की कमान संभालते हुए, अनुशासित और प्रेरणादायक वातावरण सुनिश्चित किया। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य था पार्टी की सांगठनिक मजबूती, सामाजिक न्याय के मुद्दों पर विमर्श, और आगामी चुनावों की रणनीति पर विचार-विमर्श।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए मुकेश सहनी ने वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर तीखी टिप्पणियाँ कीं। उन्होंने जातीय जनगणना को लेकर लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चिराग ने हाल ही में एक इंटरव्यू में जातीय जनगणना के आंकड़ों को सार्वजनिक न करने की बात कही थी, जो समाज के पिछड़े और वंचित वर्गों के साथ धोखा है।
“जातीय जनगणना सामाजिक न्याय की जीत है” – मुकेश सहनी
मुकेश सहनी ने सम्मेलन के दौरान जोर देकर कहा कि जातीय जनगणना केवल आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता का एक ऐतिहासिक दस्तावेज है। उन्होंने कहा:
> “केंद्र सरकार का जातीय जनगणना से संबंधित फैसला समाजवादियों और सामाजिक न्याय के पैरोकारों की ऐतिहासिक जीत है। इससे देश की बहुसंख्यक आबादी को उनकी हिस्सेदारी दिलाने का मार्ग प्रशस्त होगा।”
उन्होंने आगे कहा कि अब समय आ गया है कि देश की राजनीति में वंचित वर्गों की भागीदारी सिर्फ वोट तक सीमित न रहकर, सत्ता और नीतिगत निर्णयों में भी दिखे।
चिराग पासवान पर हमला
मुकेश सहनी ने लोजपा (रामविलास) नेता चिराग पासवान पर हमला बोलते हुए कहा कि उनके हालिया बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे जातीय जनगणना जैसे मुद्दों पर गंभीर नहीं हैं। उन्होंने चिराग से सवाल किया:
> “अगर आपके पिता रामविलास पासवान जिंदा होते तो क्या वो भी जातीय आंकड़ों को छुपाने की बात करते? उनके राजनीतिक संघर्ष का आधार ही सामाजिक न्याय था।”
वीआईपी पार्टी की रणनीति
सम्मेलन के दौरान मुकेश सहनी ने यह भी संकेत दिया कि वीआईपी पार्टी आगामी चुनावों में एक सशक्त विकल्प के रूप में उभरने के लिए तैयार है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे घर-घर जाकर पार्टी के विचारों और सामाजिक न्याय के मुद्दों को लोगों तक पहुँचाएं।
> “हम राजनीति में सत्ता के लिए नहीं, समाज में बदलाव के लिए आए हैं। वीआईपी पार्टी हर उस वर्ग के लिए खड़ी है, जिसे आज भी हाशिए पर रखा गया है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी किसी गठबंधन से पहले अपने सिद्धांतों और नीतियों को प्राथमिकता देगी।
जातीय जनगणना क्यों है जरूरी?
मुकेश सहनी ने यह रेखांकित किया कि जातीय जनगणना न केवल पिछड़े वर्गों के विकास के लिए आवश्यक है, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट होगा कि देश की आबादी की सामाजिक संरचना क्या है और किन वर्गों को वास्तव में सरकारी योजनाओं की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बिना आंकड़ों के कोई भी नीति प्रभावी नहीं हो सकती।
> “आज तक हम जाति आधारित आरक्षण की बात तो करते हैं, लेकिन यह नहीं जानते कि कौन कितनी संख्या में हैं। यह अन्याय है और इसे अब समाप्त होना चाहिए।”
कार्यकर्ताओं का जोश
सम्मेलन में आए कार्यकर्ताओं का उत्साह देखने लायक था। बड़ी संख्या में युवा, महिलाएं और समाज के विभिन्न वर्गों से आए लोग कार्यक्रम में शामिल हुए। मंच पर स्थानीय नेताओं के अलावा कई वरिष्ठ पदाधिकारी भी मौजूद थे, जिन्होंने संगठनात्मक विस्तार पर अपने विचार रखे।
कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी हुईं, जिनमें स्थानीय कलाकारों ने समाजिक जागरूकता पर आधारित गीत और नाटक प्रस्तुत किए। इससे कार्यक्रम और भी प्रभावशाली बन गया।
निष्कर्ष
वीआईपी पार्टी का मोतिहारी सम्मेलन न सिर्फ एक राजनीतिक आयोजन था, बल्कि यह सामाजिक न्याय के मुद्दों पर केंद्रित एक जन आंदोलन की तरह था। मुकेश सहनी का जातीय जनगणना पर दोटूक बयान और चिराग पासवान पर सीधा हमला यह दर्शाता है कि पार्टी अब आर-पार की लड़ाई के मूड में है। कार्यकर्ताओं की भागीदारी और उत्साह को देखकर यह स्पष्ट हो गया कि वीआईपी पार्टी आने वाले समय में बिहार की राजनीति में एक अहम भूमिका निभाने को तैयार है।









