संजय कुमार मिश्रा, जिला संवाददाता
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसारण घाटी में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 28 निर्दोष लोगों की जान गई, जिनमें 24 भारतीय पर्यटक, दो स्थानीय निवासी और दो विदेशी नागरिक( नेपाल और संयुक्त अरब अमीरात से) शामिल थे। इसके अतिरिक्त 20 से अधिक लोग घायल हुए। यह हमला 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में सबसे घातक नागरिक हमला माना जा रहा है। यह हमला न सिर्फ इंसानियत पर हमला है, बल्कि भारत की एकता, अखंडता और शांति प्रयासों को सीधी चुनौती है। हमले की जिम्मेदारी “कश्मीर रेजिस्टेंस” नामक एक कम ज्ञात आतंकी संगठन ने ली है, जो लश्कर- ए- तैयबा का एक छद्म संगठन माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की कड़ी निंदा की और सऊदी अरब की अपनी यात्रा को बीच में ही छोड़कर देश लौट आए। उन्होंने उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठकें बुलाई। गृहमंत्री अमित शाह ने श्रीनगर पहुंचकर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और मृतकों को श्रद्धांजलि दी। इस हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी अपनी चिंता और संवेदना व्यक्त की है। अमेरिका,फ्रांस ,जापान,रूस ,नेपाल, श्रीलंका, इटली , ईरान सहित कई देशों ने इस हमले की निंदा की और भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की। यह हमला उस समय हुआ है जब कश्मीर में पर्यटन और सामान्य जीवन धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा था। 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद सरकार ने क्षेत्र में शांति और विकास की दिशा में कई कदम उठाए थे। स्थानीय लोगों में भी अब अलगाववाद के प्रति झुकाव कम हुआ है और वह मुख्य धारा से जुड़ना चाहते हैं। पर्यटन, व्यापार और शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे सकारात्मक बदलाव इसकी गवाही देते हैं। लेकिन आतंकवाद की यह नई रणनीति-
पर्यटकों और आम नागरिकों को निशाना बनाना – न केवल क्रूर है, बल्कि यह जताने की कोशिश है कि आतंक अभी समाप्त नहीं हुआ। इस तरह के हमलों से यह भी स्पष्ट होता है कि आतंकवादियों के पास अब नैतिक आधार नहीं बचा है, और वे डर, भ्रम और नफरत फैलाकर केवल बर्बादी चाहते हैं। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को चाहिए की वे इस हमले के दोषियों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में लाएं और क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करें ।साथ ही, स्थानीय समुदायों के साथ संवाद और विश्वास बहाली के प्रयासों को भी तेज किया जाना चाहिए ताकि आतंकवाद के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाया जा सके। देशवासियों को भी कठिन समय में एकजुट रह
कर आतंकवाद के खिलाफ अपनी दृढ़ता और संकल्प को प्रदर्शित करना होगा। केवल तभी हम अपने देश को एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण स्थान बना सकते हैं।