मोतिहारी में हुआ गरिमामयी आयोजन, वक्ताओं ने बताया शंकराचार्य के सिद्धांतों को समस्याओं के समाधान का मार्ग
मोतिहारी। वर्तमान सामाजिक, राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन में उत्पन्न हो रही जटिल समस्याओं का समाधान भारतीय दर्शन में निहित है। इसी संदर्भ में चंपारण नागरिक मंच द्वारा एक विशेष परिचर्चा का आयोजन एलएनडी कॉलेज, सदर अस्पताल रोड स्थित परिसर में किया गया, जिसमें भारत के अद्वैत वेदान्त के प्रवर्तक आदिगुरु शंकराचार्य के जीवन और उनके दर्शन की आज के युग में प्रासंगिकता पर गहन विमर्श किया गया।
परिचर्चा की अध्यक्षता मंच के अध्यक्ष विनोद कुमार दूबे ने की, जबकि संचालन की जिम्मेदारी मुकेश कुमार पांडेय ने निभाई। कार्यक्रम में शहर के गणमान्य बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों, समाजसेवियों और युवा विचारकों की उपस्थिति रही, जिन्होंने शंकराचार्य के विचारों को वर्तमान समस्याओं का समाधान बताते हुए अपने विचार साझा किए।
अध्यक्ष विनोद कुमार दूबे ने कहा कि आज का समाज लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष, अहंकार और धन की असिमित लालसा से ग्रसित है। इन मानसिक विकृतियों ने पारिवारिक, सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर विघटन की स्थिति उत्पन्न कर दी है। ऐसे समय में शंकराचार्य का दर्शन एक प्रकाश स्तंभ की भांति मार्गदर्शन करता है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि स्थायी सुख भौतिक संसाधनों में नहीं, बल्कि आत्मबोध में है। जब तक धर्म के मूल तत्व – त्याग, प्रेम, करुणा और सत्य – को हम नहीं अपनाते, तब तक शांति संभव नहीं।
वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ. नागमणी सिंह ने कहा कि सनातन धर्म पूरी तरह वैज्ञानिक है। जहां अधिकांश धर्म स्वर्ग और नरक के लोकों की सीमाओं तक ही सीमित रहते हैं, वहीं सनातन धर्म मोक्ष की ओर ले जाने वाला मार्ग दिखाता है – जो सभी बंधनों से मुक्ति की अवस्था है। उन्होंने शंकराचार्य के अद्वैत वेदान्त के सिद्धांत को जीवन के हर पहलू में लागू करने की जरूरत पर बल दिया।
इस अवसर पर प्रो. कर्मात्मा पांडेय ने कहा कि शंकराचार्य ने जिस अद्वैत दर्शन की व्याख्या की है, वह आत्मा और परमात्मा को एक मानकर, मनुष्य को भौतिकता के बंधनों से मुक्त करने का आह्वान करता है। यह दर्शन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से भी उतना ही प्रासंगिक है।
प्रो. अरुण कुमार मिश्रा ने शंकराचार्य के जीवन के उन पहलुओं की चर्चा की, जो आज के युवाओं को प्रेरणा दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि मात्र 32 वर्षों की आयु में पूरे भारतवर्ष में शास्त्रार्थ कर एकता की अलख जगाने वाले शंकराचार्य का जीवन दर्शन समर्पण और साधना का सर्वोत्तम उदाहरण है।
रविश पाठक, लोकेश कुमार, संजय कुमार, शैलेंद्र कुमार तिवारी सहित अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखते हुए कहा कि आज के समाज को जाति, वर्ग, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर बांटने वाली शक्तियों का मुकाबला करने के लिए शंकराचार्य के ‘एकत्व’ के सिद्धांत को अपनाना होगा।
कार्यक्रम की जानकारी चंपारण नागरिक मंच के मीडिया प्रभारी शैलेंद्र मिश्र ‘बाबा’ ने दी। उन्होंने बताया कि मंच समय-समय पर ऐसे वैचारिक आयोजनों के माध्यम से जनचेतना फैलाने का कार्य करता रहेगा।
इस अवसर पर शहर की कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिनमें मितुल कुमार, अमिता निधि, रजनी ठाकुर, मिनी द्विवेदी, संजय शर्मा, संजय उपाध्याय, रामाशंकर ठाकुर, शहदेव वर्मा, अधिवक्ता शैलेंद्र श्रीवास्तव, विनोद कुमार सिंह, रंजन श्रीवास्तव, पवन कुमार मिश्र, डॉ. अजय कुमार प्रसाद, राकेश रौशन, शशिभूषण पटेल, विष्णुकांत सिंह, उज्ज्वल कुमार पांडेय प्रमुख रहे।
कार्यक्रम का समापन “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना के साथ हुआ, जिसमें समाज को जोड़ने और सद्भाव का वातावरण बनाए रखने का आह्वान किया गया।
संवाददाता, रजनीश रवि