– घर-घर जाकर कर रही हैं जागरूकता, चौपाल लगाकर दे रहीं आवश्यक सलाह
– बच्चों को धूप से बचाव और खाली पेट न सोने की दे रहीं नसीहत
मोतिहारी, 08 अप्रैल। ( रिपब्लिक 7 भारत) जिले के आदापुर प्रखंड में AES (एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम) व JE (जापानी इंसेफेलाइटिस) को लेकर स्वास्थ्य विभाग गंभीरता से सक्रिय है। बच्चों में इन बीमारियों के बढ़ते खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार समुदाय स्तर पर व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान की अग्रणी बनकर उभरी हैं आदापुर प्रखंड की आशा कार्यकर्ता संजू कुमारी, जो महादलित टोलों में जाकर न सिर्फ बच्चों और उनके अभिभावकों को जागरूक कर रही हैं, बल्कि चौपाल लगाकर भी जानकारी प्रसारित कर रही हैं।
संजू कुमारी प्रतिदिन 40 से अधिक घरों में जाकर लोगों से संपर्क करती हैं। हर शाम वह किसी न किसी टोले में चौपाल लगाकर बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को AES व JE से बचाव की जानकारी देती हैं। वह बताती हैं कि बच्चों को कड़ी धूप में बाहर न निकलने दें, कच्चे या अधपके फल न खिलाएं, और सबसे महत्वपूर्ण – बच्चों को रात में खाली पेट न सुलाएं। इसके बजाय उन्हें हल्का मीठा या ताजा खाना खिलाना जरूरी है।
विद्यालयों में भी जागरूकता अभियान
संजू ने नवसृजित प्राथमिक विद्यालय गम्हरिया खुर्द, अनुसूचित जाति टोला में शिक्षकों की उपस्थिति में बच्चों को AES व JE के लक्षण, रोकथाम व उपचार के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि वे भी बच्चों को इन बीमारियों के प्रति सतर्क करें और किसी भी लक्षण के दिखते ही तुरंत स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।
बचाव के तीन मंत्र
संजू कुमारी का कहना है कि उन्होंने बच्चों को चमकी (AES) से बचाने के लिए तीन मुख्य सलाहें दी हैं:
1. बच्चों को कड़ी धूप में न निकलने दें।
2. रात में बच्चों को भूखे पेट न सुलाएं, कुछ मीठा जरूर खिलाएं।
3. ताजे भोजन और मौसमी फल दें, साथ ही ORS घोल का सेवन कराएं।
तत्काल इलाज की सलाह
संजू कहती हैं, “गाँव में यदि किसी बच्चे को तेज बुखार, जकड़न, चक्कर आना, बेहोशी या मुंह से झाग आने जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत मुझसे संपर्क करें। इलाज में देरी नहीं होनी चाहिए। मैं हमेशा ORS और पैरासिटामोल अपने पास रखती हूं और ज़रूरत पड़ने पर लोगों को देती हूं।”
झाड़-फूंक नहीं, अस्पताल जाएं
चमकी बुखार के मामलों में देरी जानलेवा हो सकती है। संजू गांव वालों को स्पष्ट शब्दों में कहती हैं कि झाड़-फूंक से बचें और बच्चे को सरकारी अस्पताल लेकर जाएं। आवश्यकता पड़ने पर एंबुलेंस या निजी वाहन का इस्तेमाल करें।
स्वच्छता पर भी जोर
संजू स्वच्छता पर भी खास ध्यान देने को कहती हैं। वह घरों के आसपास साफ-सफाई रखने, घरों को हवादार बनाए रखने, और बच्चों को पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाने की सलाह देती हैं।
स्वास्थ्य विभाग के इस जन-जागरूकता अभियान में संजू कुमारी की भूमिका मिसाल बन गई है। वह एक ऐसी कड़ी हैं जो सरकारी योजनाओं और ग्रामीण समुदाय के बीच सेतु का काम कर रही हैं। महादलित टोलों में जाकर बच्चों की सुरक्षा हेतु उनका अथक प्रयास न सिर्फ प्रशंसा के काबिल है, बल्कि यह अन्य आशा कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा भी है।