नरसिंह बाबा मंदिर में श्रीराम कथा का दूसरा दिन भाव-विभोर, साध्वी भक्तिप्रभा ने किया श्रीराम कथा का गूढ़ रहस्य उद्घाटित

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मोतिहारी नरसिंह बाबा मंदिर परिसर में मानस सत्संग समिति के तत्वावधान में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा यज्ञ के द्वितीय दिवस की कथा भक्तिमति साध्वी भक्तिप्रभा जी के दिव्य वाणी से प्रारंभ हुई। पचोखरा (उरई, उत्तर प्रदेश) से पधारी साध्वी जी ने अपने औपचारिक संबोधन में श्रीराम कथा के उद्भव, महत्व और उद्देश्य पर गहन प्रकाश डाला।

साध्वी भक्तिप्रभा  ने कथा की शुरुआत करते हुए बताया कि श्रीराम कथा का सृजन चार घाटों पर हुआ है, जो चार अलग-अलग आध्यात्मिक अवस्थाओं का प्रतीक हैं। उन्होंने कहा—

ज्ञान घाट: जहाँ स्वयं महादेव ने जगत जननी पार्वती जी को श्रीराम कथा सुनाई।

भक्ति घाट: जहाँ श्री कागभुशुण्डि जी ने गरुड़ जी को श्रीराम कथा का रसपान कराया।

कर्मकांड घाट: प्रयाग की पुण्यभूमि पर भारद्वाज ऋषि को याज्ञवल्क्य मुनि द्वारा श्रीराम कथा का उपदेश हुआ।

शरणागति घाट: जहाँ गोस्वामी तुलसीदास जी ने स्वान्त: सुखाय श्रीरामचरितमानस की रचना कर शरणागति मार्ग को प्रशस्त किया।

उन्होंने श्रीराम कथा के गूढ़ रहस्य का उद्घाटन करते हुए बताया कि वास्तव में इसका बीजारोपण भगवती सती के मन में उठे संशय से हुआ था। यह संशय कोई सामान्य घटना नहीं थी, बल्कि जगदंबा की लीला थी, जो कलिकाल में जीव मात्र के कल्याण हेतु रची गई थी।

कथा के दौरान साध्वी जी की मधुर वाणी, शास्त्रीय संदर्भों और भावपूर्ण व्याख्याओं ने उपस्थित जनमानस को भाव-विभोर कर दिया। श्रोताओं ने हर प्रसंग में रामकथा के विभिन्न रूपों को आत्मसात किया और वातावरण बार-बार ‘जय श्रीराम’ के जयघोष से गूंजता रहा।

इस अवसर पर मानस सत्संग समिति के अनेक गणमान्य सदस्य प्रमुख रूप से उपस्थित रहे, जिनमें प्रो. सुरेशचंद्र, कामेश्वर सिंह, अवध किशोर द्विवेदी, अरुण सिंह, शंभुशरण प्रसाद, अनंत झा, संजय कुमार तिवारी, जितेंद्र त्रिपाठी, अरुण कुमार सिन्हा, अनिवेश कुमार आदि शामिल रहे।

कथा स्थल को आकर्षक ढंग से सजाया गया था, वहीं आयोजन की व्यवस्था भी उत्तम रही। श्रद्धालुओं ने आयोजन की सराहना करते हुए बताया कि यह कथा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण का अवसर है।

श्रीराम कथा का यह पावन आयोजन प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से प्रारंभ होकर सायं तक चलता है। कथा के अगले दिवसों में श्रीराम के वनगमन, सीता हरण, हनुमान लीला, राम-रावण युद्ध आदि प्रसंगों की दिव्य झांकियां प्रस्तुत की जाएंगी।