नेपाल में हाल ही में हिंदू राष्ट्र और राजशाही की बहाली की मांग को लेकर काठमांडू में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें हुई हैं। यह घटना उस समय हुई जब कई संगठनों और राजशाही के समर्थकों ने राजधानी काठमांडू में एक बड़े प्रदर्शन का आयोजन किया था। प्रदर्शनकारियों ने नेपाल को फिर से एक हिंदू राज्य बनाने की और राजशाही के पुनर्निर्माण की मांग की। यह आंदोलन देश में एक गंभीर राजनीतिक तनाव का कारण बन गया है, क्योंकि नेपाल ने 2008 में राजशाही को समाप्त कर दिया था और एक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में अपनी पहचान बनाई थी।
आंदोलन का उत्पत्ति और उद्देश्य
नेपाल में राजशाही के समर्थन में होने वाले आंदोलनों का इतिहास काफी पुराना है, लेकिन हाल के वर्षों में इस आंदोलन ने फिर से जोर पकड़ा है। 2008 में, नेपाल में राजशाही का अंत हुआ था और इसे एक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया। हालांकि, बहुत से नेपाली नागरिकों को यह परिवर्तन पसंद नहीं आया और वे मानते हैं कि राजशाही ने नेपाल की पहचान और संस्कृति को बनाए रखा था।
इन प्रदर्शनों का एक और बड़ा उद्देश्य नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित करना है। नेपाल, जो पहले हिंदू राष्ट्र था, ने 2008 में अपने संविधान में संशोधन करके धर्मनिरपेक्षता को अपनाया था। इसके बाद से कई धार्मिक समूहों ने नेपाल को एक हिंदू राष्ट्र के रूप में फिर से पहचानने की मांग की है।
काठमांडू में हिंसक झड़पें
काठमांडू में हाल ही में हुए प्रदर्शन के दौरान स्थिति हिंसक हो गई। जब हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी काठमांडू के प्रमुख चौकों पर इकट्ठा हुए, तो सुरक्षा बलों ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया। पुलिस ने आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लिया, जिसके कारण कई लोग घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने भी सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी की और सड़क पर आग लगा दी। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि उनकी आवाज़ को दबाया जा रहा है और उनका आंदोलन लोकतांत्रिक तरीके से चल रहा था, लेकिन पुलिस ने उन्हें हिंसा और बलात्कार का आरोप लगाया।
इस घटना के बाद, नेपाल के कई हिस्सों में तनाव और अशांति फैल गई। काठमांडू के प्रमुख इलाकों में सुरक्षा को बढ़ा दिया गया है और सेना को भी तैनात किया गया है। कई संगठन और राजनीतिक दलों ने इस घटना की निंदा की है, जबकि कुछ ने इसे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमला मानते हुए प्रदर्शनकारियों की निंदा की है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
नेपाल के प्रधानमंत्री और अन्य प्रमुख राजनीतिक नेताओं ने इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ ने इस हिंसा की निंदा की और कहा कि किसी भी प्रकार की हिंसा और अशांति लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है। उन्होंने यह भी कहा कि नेपाल के संविधान और लोकतंत्र की रक्षा की जाएगी और यह आंदोलन देश की स्थिरता के लिए खतरनाक हो सकता है।
इसके विपरीत, कुछ विपक्षी दलों और राजशाही समर्थक संगठनों ने इस आंदोलन का समर्थन किया है। उनका कहना है कि नेपाल का वर्तमान संविधान और राजनीतिक व्यवस्था देश के इतिहास और संस्कृति से मेल नहीं खाती। उनका मानना है कि नेपाल को एक हिंदू राष्ट्र के रूप में फिर से स्थापित करना चाहिए और राजशाही को बहाल करना चाहिए, ताकि नेपाल की सांस्कृतिक पहचान और धार्मिक विविधता को सुरक्षित रखा जा सके।
नेपाल में राजशाही का इतिहास
नेपाल में राजशाही का इतिहास हजारों साल पुराना है। नेपाल की अंतिम शाह वंशीय राजशाही 2008 में समाप्त हुई थी, जब नेपाल को एक गणराज्य घोषित किया गया था। पहले नेपाल में राजा को भगवान का रूप माना जाता था और उनका शासन काफी सशक्त था। लेकिन राजनीतिक बदलावों और जन आंदोलनों के कारण राजशाही का अंत हुआ और लोकतंत्र की स्थापना हुई।
हालांकि, नेपाल में राजशाही के समर्थक हमेशा से सक्रिय रहे हैं। उनका मानना है कि राजशाही ने नेपाल की संस्कृति और धार्मिक पहचान को बनाए रखा था। इसके विपरीत, कई अन्य नागरिक और राजनीतिक दल मानते हैं कि राजशाही के अंत से नेपाल में लोकतंत्र और सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिला है।
निष्कर्ष
नेपाल में हिंदू राष्ट्र और राजशाही की बहाली की मांग के बीच उत्पन्न तनाव और हिंसा देश के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई है। यह आंदोलन एक ओर नेपाल के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को पुनः स्थापित करने की कोशिश कर रहा है, जबकि दूसरी ओर यह नेपाल के लोकतांत्रिक प्रक्रिया और समृद्धि के लिए एक खतरे के रूप में देखा जा रहा है। नेपाल के राजनीतिक नेताओं के लिए यह महत्वपूर्ण समय है, जहां उन्हें देश की राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने और विभिन्न मतों के बीच संवाद और समझ बढ़ाने की आवश्यकता है।
यह आंदोलन नेपाल के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि यह देश की पहचान, धर्म, और राजनीति के बीच गहरे विभाजन को उजागर करता है। अगर यह स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाती है, तो नेपाल में लंबे समय तक अशांति और राजनीतिक अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है।








