अश्लील गानों पर लगाम लगाने की जरूरत: सेंसर बोर्ड की भूमिका पर उठे सवाल

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मोतीहारी: जिले में साइबर अपराध और अश्लीलता को बढ़ावा देने वाले कंटेंट के खिलाफ प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। मोतिहारी एसपी स्वर्ण प्रभात के निर्देश पर साइबर DySP ने सोशल मीडिया पर अश्लील पोस्ट डालने वालों को पोस्ट हटाने का आदेश दिया है। इस कार्रवाई के तहत कई लोगों ने अपने पोस्ट डिलीट कर दिए हैं। इसी क्रम में भोजपुरिया रेलाई नामक एक पेज भी सामने आया है, जो रजनीश सिंह नामक व्यक्ति द्वारा संचालित किया जा रहा है। प्रशासन ने इस पेज को भी चिन्हित कर आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी है।

समाज में बढ़ रही अश्लीलता पर चिंता

आज के समय में सोशल मीडिया और इंटरनेट पर तेजी से अश्लील कंटेंट का प्रसार हो रहा है। खासकर भोजपुरी गानों में बढ़ती अश्लीलता समाज के लिए एक गंभीर मुद्दा बन गई है। महिलाओं और बच्चों के बीच इन गानों का प्रसार सामाजिक सौहार्द को प्रभावित कर रहा है।

समाज में शुद्ध और स्वस्थ मनोरंजन का माहौल बनाए रखने के लिए केवल गानों को बैन करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसकी जड़ तक पहुंचना जरूरी है। इस संदर्भ में सेंसर बोर्ड की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि बिना उनकी अनुमति के कोई भी गाना बाजार में नहीं आ सकता।

सेंसर बोर्ड की जिम्मेदारी तय हो

अगर सेंसर बोर्ड खुद ही ऐसे गानों को पास कर देता है, तो यह चिंता का विषय है। ऐसे में मांग उठ रही है कि मोतिहारी एसपी स्वर्ण प्रभात सेंसर बोर्ड को एक पत्र लिखें, जिसमें यह आग्रह किया जाए कि वह अश्लील गानों को पास न करें। अगर शुरुआत से ही इन गानों को सेंसर बोर्ड मंजूरी नहीं देगा, तो यह बाजार में आएंगे ही नहीं और समाज में अश्लीलता का प्रसार भी रुकेगा।

अश्लील गानों के दुष्प्रभाव

अश्लील गानों के चलते कई सामाजिक समस्याएं सामने आ रही हैं। खासकर ट्रक, बस और अन्य सार्वजनिक वाहनों में तेज आवाज में इन गानों को बजाने से माहौल खराब होता है।

1. महिलाओं और बच्चों पर असर: अश्लील गानों के शब्द महिलाओं और बच्चों के लिए असहज स्थिति उत्पन्न करते हैं।

2. युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव: ऐसे गानों से युवा पीढ़ी के विचार दूषित हो सकते हैं और वे गलत रास्ते पर जा सकते हैं।

3. सामाजिक सौहार्द बिगड़ता है: सार्वजनिक स्थलों पर इन गानों को सुनने से माहौल खराब होता है और लोगों में असंतोष बढ़ता है।

कानूनी कार्रवाई और प्रशासन की जिम्मेदारी

मोतिहारी प्रशासन इस मुद्दे पर पहले से ही सक्रिय है और अब इस पर और कड़े कदम उठाने की जरूरत है। जिन सोशल मीडिया पेजों और यूट्यूब चैनलों के जरिए अश्लील गानों का प्रचार किया जा रहा है, उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

इसके साथ ही, ट्रक और बस ड्राइवरों को इस बारे में जागरूक करना भी जरूरी है ताकि वे सार्वजनिक स्थानों पर ऐसे गानों को न बजाएं। पुलिस को समय-समय पर चेकिंग अभियान चलाकर ऐसे वाहनों पर कार्रवाई करनी चाहिए।

सेंसर बोर्ड को लेकर कड़े नियम बनाए जाएं

सरकार को चाहिए कि वह सेंसर बोर्ड के नियमों को और सख्त बनाए। अगर सेंसर बोर्ड से कोई अश्लील गाना पास होता है, तो उस पर भी जवाबदेही तय होनी चाहिए।

सेंसर बोर्ड को एक ऐसी कमेटी बनानी चाहिए जिसमें समाजसेवी, महिला संगठनों और शिक्षाविदों को शामिल किया जाए, ताकि वे तय कर सकें कि कोई गाना समाज के लिए उपयुक्त है या नहीं।

अगर कोई भी संगीत निर्माता या गायक जानबूझकर अश्लील गाने बनाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

यूट्यूब और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अश्लील गानों की मॉनिटरिंग के लिए एक अलग सेल बनाया जाए।

निष्कर्ष

भोजपुरी और अन्य क्षेत्रीय संगीत भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा हैं, लेकिन इसमें बढ़ती अश्लीलता समाज के लिए खतरा बन रही है। इसे रोकने के लिए प्रशासन के साथ-साथ आम जनता को भी जागरूक होना पड़ेगा।

अगर सेंसर बोर्ड अपने नियमों को सख्त कर ले और प्रशासन समय-समय पर कार्रवाई करता रहे, तो समाज में शुद्ध और स्वस्थ मनोरंजन को बढ़ावा मिलेगा। मोतिहारी प्रशासन की यह पहल सराहनीय है, और उम्मीद है कि इस दिशा में और ठोस कदम उठाए जाएंगे ताकि भविष्य में समाज को अश्लीलता से मुक्त किया जा सके।