ढाका के बलुआ गांव में जमीन विवाद: थाने का चक्कर काटने को मजबूर इम्तियाज आलम

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मोतिहारी (बिहार) – बिहार में जमीन विवादों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, और इसका असर स्थानीय सामाजिक ताने-बाने पर भी गहरा पड़ रहा है। मोतिहारी जिले के ढाका थाना क्षेत्र के बलुआ गांव में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां पाटीदारों के बीच जमीन को लेकर गंभीर विवाद उत्पन्न हो गया है।

क्या है पूरा मामला?

बलुआ गांव निवासी इम्तियाज आलम अपनी जमीन पर मकान निर्माण का कार्य करवा रहे थे, तभी गांव के ही मोनिफ आलम, सद्रे आलम, जफिर, और नसीमा ने इस निर्माण कार्य को जबरन रोक दिया। इम्तियाज आलम का कहना है कि जिस जमीन पर वह घर बना रहे हैं, वह पूरी तरह से उनकी है और इस संबंध में सभी वैध दस्तावेज भी उनके पास मौजूद हैं। इसके बावजूद उनके पाटीदार बार-बार निर्माण कार्य में बाधा डाल रहे हैं।

 

थाने का चक्कर लगाने को मजबूर

इम्तियाज आलम का आरोप है कि जब भी वह निर्माण कार्य शुरू करते हैं, पाटीदार विवाद खड़ा कर देते हैं और विरोध जताते हैं। मजबूरी में उन्होंने स्थानीय ढाका थाने में इस संबंध में शिकायत भी दर्ज कराई है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। आलम का कहना है कि वह अपने ही हक की जमीन पर निर्माण करने से वंचित हैं और न्याय की गुहार लगाने के लिए उन्हें बार-बार थाने का चक्कर काटना पड़ रहा है।

पाटीदारों का पक्ष

इस विवाद पर जब मोनिफ आलम और अन्य पाटीदारों से संपर्क किया गया, तो उन्होंने जमीन के स्वामित्व को लेकर अपनी आपत्तियां जताईं। उनका कहना है कि जमीन को लेकर कुछ अस्पष्टताएं हैं, जिनका समाधान नहीं हुआ है। उन्होंने इम्तियाज आलम के निर्माण कार्य को अवैध बताते हुए इसे रोकने की मांग की है।

स्थानीय प्रशासन की भूमिका

स्थानीय प्रशासन की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, सूत्रों की मानें तो पुलिस इस विवाद को सुलझाने के प्रयास में लगी हुई है। लेकिन शिकायतकर्ता का आरोप है कि प्रशासन की ओर से मामले में कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है, जिससे विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है।

जमीन विवाद की बढ़ती समस्या

बिहार में जमीन विवाद की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। भू-माफियाओं का दबदबा और स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता ने इन विवादों को और भी जटिल बना दिया है। भाई-भाई और पाटीदारों के बीच जमीनी झगड़े आम हो गए हैं, जो कभी-कभी हिंसक रूप भी ले लेते हैं।

क्या है समाधान?

इस तरह के मामलों में जमीन की सही कानूनी जांच और दस्तावेजों की पुष्टि आवश्यक है। प्रशासन को निष्पक्ष रूप से मामले की जांच करनी चाहिए और दोनों पक्षों को बुलाकर सुलह-समझौते की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए, ताकि विवाद का शांतिपूर्ण समाधान निकाला जा सके।

निष्कर्ष

बलुआ गांव का यह मामला बिहार में जमीन विवाद की गंभीरता को दर्शाता है। यह घटना केवल एक व्यक्ति का संकट नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चिंता का विषय है। जब तक प्रशासन ऐसे मामलों में सख्ती नहीं दिखाएगा, तब तक गरीब और असहाय लोगों को इसी तरह न्याय के लिए भटकना पड़ेगा।