शराब के नशे में हंगामा करते पकड़े गए कोटवा प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी

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कोटवा, मोतिहारी: बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बावजूद सरकारी अधिकारियों द्वारा नियमों का उल्लंघन करने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। ताजा मामला कोटवा प्रखंड से सामने आया है, जहां प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (BEO) को शराब के नशे में हंगामा करते हुए पकड़ा गया। यह घटना अहिरौलिया स्थित एक सरकारी स्कूल में घटी, जहां उन्होंने शराब के नशे में महिला शिक्षिका के साथ दुर्व्यवहार किया और जमकर हंगामा किया।

घटना का विवरण

सूत्रों के अनुसार, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अहिरौलिया स्थित एक सरकारी विद्यालय का दौरा करने पहुंचे थे। वहां पहुंचते ही उन्होंने शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया। महिला शिक्षिका ने जब इसका विरोध किया तो वे और ज्यादा उत्तेजित हो गए और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने लगे। शिक्षिका ने मामले की सूचना तुरंत स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दी।

शराब के नशे की पुष्टि के लिए भेजा गया अस्पताल

घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को हिरासत में ले लिया। संदेह होने पर उन्हें शराब सेवन की पुष्टि के लिए सदर अस्पताल भेजा गया, जहां मेडिकल जांच कराई गई। प्रारंभिक रिपोर्ट में उनके नशे में होने की पुष्टि हुई है। हालांकि, विस्तृत मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।

शिक्षकों और ग्रामीणों में आक्रोश

इस घटना के बाद स्थानीय शिक्षकों और ग्रामीणों में आक्रोश देखा गया। ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी अधिकारी ही अगर शराबबंदी कानून का उल्लंघन करेंगे, तो आम जनता से इसके पालन की उम्मीद कैसे की जा सकती है? शिक्षकों ने भी इस घटना पर नाराजगी जताते हुए प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।

शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया

मामले की गंभीरता को देखते हुए शिक्षा विभाग ने भी इसे संज्ञान में लिया है। जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने बताया कि आरोपी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। यदि शराब सेवन की पुष्टि होती है, तो उनके निलंबन की भी सिफारिश की जा सकती है।

शराबबंदी कानून की धज्जियां उड़ाने का आरोप

गौरतलब है कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू है और किसी भी व्यक्ति द्वारा शराब पीना या बेचना कानूनन अपराध है। फिर भी सरकारी अधिकारी ही अगर इस कानून की धज्जियां उड़ाते हैं, तो यह एक गंभीर विषय है। इस घटना ने प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

अधिकारी पर क्या होगी कार्रवाई?

प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। यदि रिपोर्ट में शराब सेवन की पुष्टि होती है, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। पुलिस प्रशासन ने भी कहा है कि शराबबंदी कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।

निष्कर्ष

यह घटना बिहार में शराबबंदी कानून की वास्तविकता को उजागर करती है। जहां एक ओर सरकार शराबबंदी को सख्ती से लागू करने का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर सरकारी अधिकारी ही इस कानून का उल्लंघन करते पकड़े जाते हैं। अब देखना होगा कि इस मामले में प्रशासन कितना सख्त कदम उठाता है और आरोपी अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है।