प्रशांत किशोर का नीतीश सरकार पर बड़ा हमला, कहा- बिहार की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त

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चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था को लेकर राज्य सरकार पर कड़ा हमला बोला है। उन्होंने किसान महापंचायत में किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से collapsed हो चुकी है। उन्होंने दावा किया कि राज्य में 100 में से सिर्फ 13 बच्चे ही 12वीं की परीक्षा पास कर पाते हैं, जो बेहद चिंताजनक स्थिति है। 

प्रशांत किशोर ने कहा कि समाज के विद्वान लोग हमेशा यह मानते रहे हैं कि गरीबी मिटाने के तीन मुख्य उपाय होते हैं— शिक्षा, जमीन और पूंजी। लेकिन, पिछले 35-40 सालों में बिहार की शिक्षा व्यवस्था लगातार गिरती चली गई है। आज बिहार के बच्चे अच्छी शिक्षा के अभाव में दूसरे राज्यों में जाकर labor work करने को मजबूर हो रहे हैं।

सरकार पर बड़े आरोप 

प्रशांत किशोर ने बिहार सरकार पर शिक्षा को लेकर किए जा रहे खर्च पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हर साल शिक्षा पर 50,000 करोड़ रुपये खर्च करती है, लेकिन इसके बावजूद शिक्षा की स्थिति दयनीय बनी हुई है उन्होंने सरकार की नीतियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आज स्कूल सिर्फ खिचड़ी बांटने के लिए और कॉलेज सिर्फ डिग्री देने के लिए चल रहे हैं। 

उन्होंने यह भी कहा कि यदि बिहार की शिक्षा व्यवस्था को जल्द सुधारने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो बिहार के युवा अपने ही राज्य में मजदूर बनने के लिए मजबूर हो जाएंगे

बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर चिंताएं 

शिक्षा की बदहाल स्थिति का जिक्र करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में सरकारी स्कूलों की स्थिति बहुत खराब है। उन्होंने दावा किया कि राज्य में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है, स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, और पढ़ाई का स्तर भी काफी नीचे गिर चुका है

इसके अलावा, कॉलेजों में regular classes न होने और परीक्षा प्रणाली में धांधली जैसी समस्याओं को भी उन्होंने उजागर किया। उन्होंने कहा कि बिहार में उच्च शिक्षा का भी कोई ठोस आधार नहीं रह गया है जिसके कारण युवाओं को दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ता है।

बिहार के युवाओं का भविष्य दांव पर 

प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के युवा job opportunities के अभाव में मजबूरी में migrant laborersबन रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि राज्य में शिक्षा व्यवस्था सही होती, तो बिहार के युवाओं को दूसरे राज्यों में जाकर construction work या daily wage jobs*

नहीं करनी पड़ती।

उन्होंने कहा कि यदि सरकार वास्तव में बिहार के विकास को लेकर गंभीर है, तो शिक्षा पर खर्च की जाने वाली राशि का सही उपयोग किया जाना चाहिए उन्होंने यह भी कहा कि जब तक बिहार में quality educatio उपलब्ध नहीं होगी, तब तक राज्य की economic condition में कोई सुधार नहीं होगा।

  शिक्षा में सुधार की मांग

प्रशांत किशोर ने बिहार सरकार से शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने की अपील की। उन्होंने कहा कि यदि शिक्षा व्यवस्था को सुधारना है, तो स्कूलों में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति, बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता और पढ़ाई के स्तर को ऊपर उठाने पर ध्यान देना होगा

उन्होंने सरकार से सवाल किया कि यदि 50,000 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी शिक्षा की यह हालत है, तो आखिर यह पैसा कहां जा रहा है? उन्होंने बिहार के लोगों से अपील की कि वे इस गंभीर मुद्दे पर सोचें और सरकार से जवाब मांगें।

निष्कर्ष

प्रशांत किशोर के इस बयान से बिहार की शिक्षा व्यवस्था को लेकर **एक नई बहस** छिड़ गई है। यह सच है कि बिहार की शिक्षा प्रणाली कई वर्षों से **crisis** में है, लेकिन क्या सरकार इस पर ध्यान देगी? यह देखने वाली बात होगी कि राज्य सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या सुधार के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं या नहीं।