विदेश से एमबीबीएस पास कर लौटे विवेक कुमार सिंह ने भारत में पहली बार में पास किया परीक्षा

741

मोतिहारी के पहाड़पुर निवासी विवेक कुमार सिंह, पुत्र  जय नारायण सिंह, ने विदेश में मेडिकल की पढ़ाई पूरी कर अपने जिले और परिवार का नाम रोशन किया है। विवेक ने रसिया से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की और भारत में मेडिकल प्रैक्टिस की मान्यता के लिए आवश्यक परीक्षा को पहली बार में ही पास कर एक नई मिसाल कायम की। उनकी इस सफलता से न केवल उनके परिवार में, बल्कि पूरे गांव और जिले में खुशी की लहर दौड़ गई है।

विदेशी डिग्री के बाद भारत में परीक्षा देना अनिवार्य
जैसा कि सभी जानते हैं, विदेश से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करने के बाद भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करने के लिए फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन (FMGE) पास करना अनिवार्य होता है। इस परीक्षा को पास करना बहुत मुश्किल माना जाता है और इसमें सफलता का प्रतिशत कम होता है। लेकिन विवेक ने अपनी मेहनत और लगन से इसे पहली ही कोशिश में पास कर यह साबित कर दिया कि कठिनाइयां कितनी भी बड़ी हों, यदि संकल्प दृढ़ हो तो हर मंजिल पाई जा सकती है।

गांव और परिवार में खुशी का माहौल
विवेक की इस सफलता के उपलक्ष्य में उनके गांव पहाड़पुर में एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में गांव के लोग, परिवार के सदस्य और सगे-संबंधी शामिल हुए। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में अमरेंद्र कुमार सिंह, राकेश कुमार सिंह, राजेश कुमार सिंह, रणधीर कुमार सिंह और अधिवक्ता भूषण सिंह ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

सम्मान समारोह में सभी ने विवेक को उनकी इस उपलब्धि के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं। गांव के बुजुर्गों ने कहा कि विवेक की यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे गांव के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

सफलता के पीछे कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प
विवेक ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और शिक्षकों को दिया। उन्होंने कहा, “विदेश में पढ़ाई करना और फिर भारत में परीक्षा पास करना आसान नहीं था। लेकिन परिवार के सहयोग और अपनी मेहनत के बल पर मैंने इसे मुमकिन कर दिखाया।” विवेक ने यह भी बताया कि उनकी योजना ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए काम करने की है।

मुख्य अतिथियों ने किया प्रेरणादायक संबोधन
मुख्य अतिथि अमरेंद्र कुमार सिंह ने विवेक की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, “यह सिर्फ विवेक की नहीं, बल्कि पूरे गांव की जीत है। उन्होंने साबित किया है कि हमारे गांव के युवा भी बड़े सपने देख सकते हैं और उन्हें पूरा कर सकते हैं।” अधिवक्ता भूषण सिंह ने कहा, “विवेक की मेहनत और लगन हर युवा के लिए प्रेरणा है। हमें गर्व है कि हमारे गांव से ऐसा होनहार डॉक्टर निकला है।”

गांव के युवाओं के लिए प्रेरणा
विवेक की इस सफलता ने गांव के अन्य युवाओं के लिए एक नया रास्ता खोल दिया है। कई युवाओं ने उनसे प्रेरित होकर मेडिकल और अन्य उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाने का निश्चय किया है। विवेक ने भी युवाओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि मेहनत और सही दिशा में किए गए प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाते।

स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की योजना
विवेक का सपना है कि वह ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करें। उन्होंने कहा, “ग्रामीण इलाकों में आज भी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक है। मेरा उद्देश्य उन लोगों तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना है, जो आर्थिक या सामाजिक कारणों से इलाज नहीं करवा पाते।”

समारोह का समापन
सम्मान समारोह का समापन ग्रामीणों और अतिथियों के उत्साहपूर्ण संबोधनों के साथ हुआ। इस अवसर पर सभी ने विवेक के उज्ज्वल भविष्य की कामना की और उम्मीद जताई कि वह अपने कार्यों से जिले और देश का नाम रोशन करेंगे।

निष्कर्ष
विवेक कुमार सिंह की यह सफलता न केवल उनकी मेहनत और लगन का परिणाम है, बल्कि यह इस बात का प्रमाण भी है कि यदि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है। विवेक ने अपनी सफलता से न केवल अपने परिवार का, बल्कि अपने गांव और जिले का मान बढ़ाया है। उनके इस सफर से यह स्पष्ट होता है कि अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और उसे पाने की ललक हो तो कोई भी सपना असंभव नहीं है।