बेतिया के डीईओ रजनीकांत प्रवीण निलंबित, शिक्षा विभाग ने जारी किया संकल्प पत्र

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बिहार के पश्चिम चंपारण जिला मुख्यालय बेतिया के जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) रजनीकांत प्रवीण को शिक्षा विभाग ने गंभीर अनियमितताओं के आरोप में निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई शिक्षा विभाग के निदेशक प्रशासन सुबोध कुमार चौधरी के निर्देश पर की गई है। इस संबंध में विभाग द्वारा आधिकारिक संकल्प पत्र जारी किया गया है, जिसमें निलंबन का विस्तृत विवरण दिया गया है।

निलंबन का कारण और प्रक्रिया

शिक्षा विभाग ने रजनीकांत प्रवीण पर अपने कार्यों में लापरवाही बरतने और प्रशासनिक जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन न करने का आरोप लगाया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, रजनीकांत प्रवीण के कार्यकाल में शिक्षा विभाग के तहत कई अनियमितताएं सामने आईं, जिनमें वित्तीय गड़बड़ियों, शैक्षणिक संस्थानों में प्रशासनिक लापरवाही और कर्मचारियों के लंबित मामलों को लेकर शिकायतें शामिल हैं।

इससे पहले भी विभाग ने रजनीकांत प्रवीण को कई बार चेतावनी दी थी, लेकिन सुधार के कोई संकेत नहीं मिले। इस स्थिति को देखते हुए शिक्षा विभाग ने कड़ा कदम उठाते हुए उन्हें निलंबित करने का निर्णय लिया।

निलंबन के दौरान नई तैनाती  

निलंबन अवधि के दौरान रजनीकांत प्रवीण का मुख्यालय क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक, पूर्णिया (बिहार) किया गया है। इसका मतलब है कि वे पूर्णिया में रहकर विभागीय निर्देशों का पालन करेंगे। निलंबन के दौरान उन्हें सिर्फ जीवन निर्वाह भत्ता (subsistence allowance) प्रदान किया जाएगा, जो सरकारी नियमों के तहत उनके वेतन का एक हिस्सा होता है।

संकल्प पत्र में क्या है खास?

शिक्षा विभाग के निदेशक प्रशासन सुबोध कुमार चौधरी द्वारा जारी किए गए संकल्प पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि निलंबन अवधि में रजनीकांत प्रवीण को किसी भी प्रकार की अतिरिक्त जिम्मेदारी या अधिकार नहीं दिया जाएगा। उनके द्वारा की गई सभी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी।

संकल्प पत्र के अनुसार, यह निलंबन कार्रवाई शिक्षा विभाग के मानकों और सरकारी सेवा नियमावली के तहत की गई है। विभागीय अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि निलंबन केवल प्रारंभिक कार्रवाई है और मामले की विस्तृत जांच के बाद ही उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

निलंबन का प्रभाव और प्रतिक्रिया 

इस निर्णय के बाद शिक्षा विभाग और प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई है। रजनीकांत प्रवीण की निलंबन की खबर जैसे ही सामने आई, जिले के शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों में इस पर चर्चा शुरू हो गई। कई लोगों ने इसे शिक्षा विभाग का सही कदम बताया है, वहीं कुछ का मानना है कि मामले की निष्पक्ष जांच के बाद ही दोषी तय किया जाना चाहिए।

शिक्षा व्यवस्था पर असर 

बेतिया जिला शिक्षा विभाग में यह निलंबन घटना शिक्षा व्यवस्था पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से असर डाल सकती है। डीईओ जिले के शिक्षा विभाग के प्रमुख होते हैं और उनकी जिम्मेदारी में शैक्षणिक योजनाओं का क्रियान्वयन, विद्यालयों का निरीक्षण और प्रशासनिक कार्यों का संचालन शामिल होता है। डीईओ की अनुपस्थिति में इन कार्यों पर असर पड़ने की संभावना है।

  क्या है जीवन निर्वाह भत्ता?

निलंबन के दौरान कर्मचारियों को जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाता है। यह भत्ता उनके मूल वेतन का एक हिस्सा होता है, ताकि कर्मचारी अपनी बुनियादी जरूरतें पूरी कर सके। रजनीकांत प्रवीण को भी इस दौरान केवल यही भत्ता दिया जाएगा।

आगे की प्रक्रिया 

शिक्षा विभाग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, निलंबन के बाद मामले की गहन जांच की जाएगी। जांच रिपोर्ट के आधार पर यह तय किया जाएगा कि रजनीकांत प्रवीण पर लगाए गए आरोपों में कितनी सच्चाई है। यदि जांच में आरोप सिद्ध होते हैं, तो उनके खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें पद से बर्खास्तगी भी शामिल हो सकती है।

समाज और शिक्षा क्षेत्र का दृष्टिकोण 

इस पूरे घटनाक्रम ने शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्व को एक बार फिर उजागर किया है। जिले के शिक्षकों और विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा और प्रशासनिक सुधार की उम्मीद है।

रजनीकांत प्रवीण का निलंबन शिक्षा विभाग के भीतर सुधारात्मक कदमों का संकेत हो सकता है। यह कार्रवाई अन्य अधिकारियों को भी अपने कार्यों में अधिक सतर्क और जवाबदेह रहने के लिए प्रेरित कर सकती है।

निष्कर्ष: 

बेतिया के जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनीकांत प्रवीण का निलंबन शिक्षा विभाग की एक बड़ी कार्रवाई है। यह फैसला विभागीय अनुशासन को सुदृढ़ करने और प्रशासनिक व्यवस्था को सुधारने के उद्देश्य से लिया गया है। अब सभी की नजरें जांच प्रक्रिया और इसके नतीजों पर हैं, जो यह तय करेंगे कि आगे इस मामले में क्या कदम उठाए जाएंगे।