मोतिहारी में मिला 10 किलोग्राम का शावक, ग्रामीणों और वन विभाग की तत्परता से बची जान

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मोतिहारी, बिहार के ग्रामीण इलाके में उस समय सनसनी फैल गई जब एक 10 किलोग्राम वजन का बाघ का शावक पाया गया। यह घटना जिले के रामगढ़वा प्रखंड स्थित अमोदेई गांव की है, जहां ग्रामीणों ने न केवल अदम्य साहस का परिचय दिया बल्कि एक मासूम वन्यजीव को बचाने के लिए असाधारण मानवता का प्रदर्शन भी किया। यह दुर्लभ और रोमांचक घटना वन विभाग और स्थानीय निवासियों के संयुक्त प्रयासों की सफलता की कहानी बन गई

शावक के मिलने की घटना

ग्रामीणों के अनुसार, सुबह के समय खेतों की ओर जाते वक्त उन्होंने एक छोटे बाघ के बच्चे को देखा, जो ठंड और थकान से कमजोर हालत में था। शावक के आस-पास कोई अन्य बाघ या उसकी मां का कोई संकेत नहीं मिला, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि वह अपने परिवार से बिछड़ गया था। शावक को देखकर ग्रामीण पहले भयभीत हो गए, लेकिन जल्दी ही उन्होंने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इसे सुरक्षित रखने का निर्णय लिया।

ग्रामीणों ने दिखाया साहस और समझदारी

शावक की हालत गंभीर थी। कड़ाके की ठंड के कारण वह ठिठुर रहा था और असहाय लग रहा था। ग्रामीणों ने अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए उसे आग के पास बैठाया ताकि उसे ठंड से बचाया जा सके। साथ ही, उन्होंने उसे सुरक्षित रूप से एक पिंजरे में रखा ताकि वह सुरक्षित रहे और किसी को नुकसान न पहुंचे। ग्रामीणों ने शावक को भोजन या पानी देने से बचते हुए तुरंत वन विभाग को सूचना दी।

वन विभाग की त्वरित कार्रवाई

ग्रामीणों से सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। टीम में वन अधिकारियों और पशु चिकित्सकों का एक दल शामिल था। शावक की हालत का मुआयना करने के बाद उसे प्राथमिक उपचार दिया गया और सुरक्षित रूप से रेस्क्यू सेंटर ले जाया गया। वन विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीणों के साहस और सहयोग की सराहना की।

वन अधिकारी के अनुसार, “शावक लगभग तीन महीने का है और उसका वजन लगभग 10 किलोग्राम है। ऐसा प्रतीत होता है कि वह जंगल में अपनी मां से बिछड़ गया था। फिलहाल उसकी हालत स्थिर है और उसे वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर में भेज दिया गया है, जहां उसकी देखभाल की जा रही हैं”

ग्रामीणों की जागरूकता की मिसाल

इस घटना ने ग्रामीणों की जागरूकता और वन्यजीव संरक्षण के प्रति उनकी समझदारी को उजागर किया है। अक्सर ऐसे मामलों में डर या अज्ञानता के कारण जानवरों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है, लेकिन यहां ग्रामीणों ने न केवल शावक को बचाया बल्कि उसकी सही देखभाल के लिए समय पर वन विभाग से संपर्क भी किया।

वन विभाग ने ग्रामीणों को धन्यवाद देते हुए कहा, “यह एक अनुकरणीय उदाहरण है कि यदि ग्रामीण सही समय पर जानकारी दें और सूझबूझ से काम लें, तो वन्यजीवों को बचाया जा सकता है। इस घटना ने साबित कर दिया कि मानवीय संवेदनशीलता और वन विभाग का सहयोग अद्भुत परिणाम दे सकता है।”

वन्यजीव संरक्षण पर संदेश

यह घटना एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि वन्यजीव हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का अभिन्न हिस्सा हैं और उनकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। जंगलों के कटने और शिकार की घटनाओं के कारण ऐसे वन्यजीव अक्सर संकट में आ जाते हैं। ग्रामीणों और वन विभाग की इस पहल से न केवल एक शावक की जान बची, बल्कि यह भी साबित हुआ कि मानव और वन्यजीव एक दूसरे के साथ सह-अस्तित्व में रह सकते हैं।

शावक की मां की खोज जारी

वन विभाग की टीम ने यह भी बताया कि शावक की मां की तलाश शुरू कर दी गई है। उन्होंने शावक को उस क्षेत्र में पाए जाने के आधार पर आसपास के जंगलों में उसकी मां की खोज के लिए टीमें तैनात की हैं। उम्मीद है कि मां-बच्चे को पुनः मिलाया जा सकेगा।

निष्कर्ष

मोतिहारी की यह घटना साहस, मानवता और प्रकृति के प्रति जागरूकता का अनुपम उदाहरण है। ग्रामीणों ने दिखा दिया कि थोड़ी सी समझदारी और संवेदनशीलता से किसी की जान बचाई जा सकती है। वन विभाग और स्थानीय निवासियों के इस संयुक्त प्रयास की जितनी सराहना की जाए, वह कम है। यह घटना भविष्य में मानव और वन्यजीवों के बीच बेहतर तालमेल का आधार बनेगी।